विशेष ACB कोर्ट ने पूर्व SEBI प्रमुख माधवी पुरी बुच पर FIR दर्ज करने का आदेश दिया, शेयर बाजार में धोखाधड़ी का आरोप

स्पेशल एसीबी कोर्ट ने दस्तावेज देखने के बाद मुंबई क्षेत्र के अंतर्गत एसीपी वर्ली को सेबी की पूर्व प्रमुख माधबी पुरी बुच और 5 अन्य लोगों के खिलाफ आईपीसी, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सेबी अधिनियम और अन्य लागू कानूनों के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया।

Atul Saxena
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ordered to register FIR against former SEBI chief Madhavi Puri Buch : सेबी की पूर्व प्रमुख माधबी पुरी बुच की मुश्किलें बढ़ गई हैं, मुंबई की विशेष एसीबी अदालत (एंटी करप्शन ब्यूरो कोर्ट) ने माधबी पुरी बुच और 5 अन्य लोगों के खिलाफ शेयर बाजार में धोखाधड़ी और नियामक उल्लंघनों के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है । विशेष एसीबी कोर्ट ने कहा “नियमों में चूक और मिलीभगत के प्राइमाफेसी सबूत हैं, जो एक निष्पक्ष और निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है।” कोर्ट ने ये भी कहा कि वह जांच की निगरानी करेगी, कोर्ट ने 30 दिनों के अंदर रिपोर्ट मांगी है।

अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग 2024 के अंतिम महीनों में माधवी पुरी बुच के खिलाफ एक रिपोर्ट जारी की थी उस समय माधवी पुरी बुच के खिलाफ सेबी प्रमुख के पद पर थीं, रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अडानी ग्रुप के विदेशी फंड में सेबी चीफ माधवी पुरी बुच और उनके पति की हिस्सेदारी है, रिपोर्ट में अडानी ग्रुप और सेबी के बीच मिलीभगत का गंभीर आरोप भी लगाया गया था। बता दें माधवी पुरी बुच का SEBI प्रमुख का कार्यकाल दो दिन पूर्व 28 फरवरी को ही समाप्त हुआ है सरकार ने उनकी जगह ओडिशा कैडर के IAS अधिकारी तुहिन कांत पांडे को नया SEBI प्रमुख बनाया गया है, पांडे का कार्यकाल 3 साल तक रहेगा।

आरोपों का बुच और अडानी ग्रुप ने किया था खंडन

हालाँकि हिंडनबर्ग के आरोपों को माधवी पुरी बुच और उनके पति ने बेबुनियाद बताया, उन्होंने कहा कि हमने कोई भी जानकारी नहीं छिपाई है हिंडनबर्ग के आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है, वहीं अडानी ग्रुप ने भी सभी आरोपों को आधारहीन बताया था, अडानी ग्रुप की ओर से कहा गया था कि ये मुनाफा कमाने और बदनाम करने की साजिश है।

शिकायतकर्ता का ये कहना है  

विशेष एसीबी कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा ये आरोप एक संज्ञेय अपराध की ओर इशारा करते हैं इसके लिए जांच आवश्यक है, बता दें शिकायतकर्ता ने आरोप लगाए थे कि एक कंपनी को 1992 के सेबी अधिनियम और उसके तहत नियमों और विनियमों के अनुपालन के बिना स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग की गई थी। इस लिस्टिंग में नियामक एजेंसियां, खास तौर से सेबी की सक्रिय मिलीभगत रही है। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि सेबी के अधिकारियों अपनी वैधानिक जिम्मेदारी निभाने में नाकामयाब रहे हैं।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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