नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट | देशभर में आज दिवाली (Diwali Special) का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। हर कोई अपने घरों को फूल, लाइट और दीपों से सजा रहा है। लोग एक-दूसरे को फोन के माध्यम से बधाईयां दे रहे हैं। आजकल सोशल मीडिया के जमाने में हर कोई इसी माध्यम से एक-दूसरे को त्योहार की शुभकामनाएं दे रहे। बता दें कि यह त्योहार खुशियों का त्यौहार है, लोग मिठाईयां बांटकर सारे पूराने गिले-सिकवे दूर कर आपस में गले मिलते हैं। साथ ही, आतिशबाजी कर जश्न मनाचते हैं। लोग तरह-तरह के पकवान बनाते हैं। इसी कड़ी में कलाकाल भी अपनी-अपनी कलाओं का प्रदर्शन करते हैं, तो आज दिवाली (Diwali Special) के खास मौके पर हम आपको ऐसे सैंड कलाकार की कलाकृति के बारे में व्याख्य़ान करने जा रहे हैं, जिनकी आकृति ने सभी को अपनी ओर आर्किषत कर लिया है।
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दरअसल, हम बात कर रहे हैं सैंड आर्टिस्ट द्मश्री सुदर्शन पटनायक की, जिन्होंने ओडिशा के पुरी बीच पर रेत से मां काली की खूबसूरत मूर्ति बनाई है। इसके लिए उन्होंने करीब 4 हजार दीयों का इस्तेमाल किया है। बता दें कि सुदर्शन पटनायक अब तक देश, विदेश में 60 से अधिक प्रतियोतिाओं में अपनी कला को दर्शा चुके हैं। केवल इतना ही नहीं उन्हें इस सराहनीय काम के लिए साल 2014 में द्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा सुदर्शन को साल 2019 में इटली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान “इटैलियन गोल्डन सैंड आर्ट अवार्ड 2019” से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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सुदर्शन पटनायक ने अपने ट्विटर अकाउंट से मां काली की तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा है कि, “हैप्पी दिवाली… ओडिशा के पुरी बीच पर 4045 दीयों से मां काली की रेत से मूर्ति बनाई है। मैं लोगों से इस दिवाली पर्यावरण को स्वच्छ रखने और प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाने की अपील करता हूं।” साथ ही, उन्होने बताया कि, मैने मां काली की 5 फीट ऊंटी प्रतिमा बनाई है। जिसमें 4045 दियों और पांच टन रेत का इस्तेमाल किया गया है।
#HappyDiwali 🙏
My SandArt of Goddess Maa Kali with installation of 4045 Diyas at Puri beach in Odisha. pic.twitter.com/3GZGe9TANQ— Sudarsan Pattnaik (@sudarsansand) October 24, 2022
बता दें कि सुदर्शन पटनायक का जन्म ओडिसा में हुआ है, जिनका बचपन समुद्र किनारे बिता। इस दौरान वो बीच पर रेत के किनारे अक्सर कुछ-ना-कुछ कलाकृति करते रहते थे। इस प्रकार वो शुरूआती दौर में अपने आसपास के क्षेत्र में ही आयोजित कार्यक्रमों में हिस्सा लिया करते थे। चुकि, पैसे की कमी होने के कारण उन्होंने धीरे-धीरे दूसरा काम कर पैसा जमाना शुरू किया। जिसके बाद उन्हें देश, विदेश में आयोजित होने वाले प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने का मौका मिलने लगा और इस वो आज एक बेहतर द्मश्री अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं।
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