गन्ना किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है। 2025-26 सीजन के लिए केंद्र सरकार ने गन्ने का उचित मूल्य यानी FRP ₹355 प्रति क्विंटल तय किया है। बता दें कि ये फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स की बैठक में लिया गया। इससे न सिर्फ गन्ना किसानों को राहत मिलेगी बल्कि देश भर की चीनी मिलों में काम करने वाले करीब 5 लाख श्रमिकों को भी फायदा होगा।
दरअसल 2025-26 सीजन के लिए निर्धारित ₹355 का FRP 10.25% की रिकवरी दर पर तय किया गया है। इसका मतलब ये है कि अगर किसी किसान के गन्ने से 10.25% से ज्यादा शुगर रिकवरी होती है, तो हर 0.1% बढ़त पर ₹3.46 अतिरिक्त मिलेंगे। वहीं, रिकवरी कम होने पर उतनी ही कटौती होगी। हालांकि सरकार ने एक सुरक्षा घेरा भी तैयार किया है, अगर किसी मिल की रिकवरी 9.5% से कम है, तो भी किसानों को कम से कम ₹329.05 प्रति क्विंटल मिलेंगे। यह तय FRP मौजूदा लागत मूल्य ₹173 के मुकाबले 105.2% ज्यादा है, यानी सरकार ने किसानों को मुनाफा पक्का करने की कोशिश की है।

गन्ना किसानों को मोदी सरकार का उपहार!
आज केंद्रीय कैबिनेट ने वर्ष 2025-26 के लिए गन्ने का FRP ₹355 प्रति क्विंटल निर्धारित करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय से लगभग 5 करोड़ गन्ना किसान और उनके परिवारों के साथ-साथ चीनी मिलों में कार्यरत लगभग 5 लाख श्रमिक भी लाभान्वित होंगे।…
— Amit Shah (@AmitShah) April 30, 2025
किसानों को मिलेगा समय पर भुगतान
वहीं गन्ना किसानों की एक बड़ी चिंता समय पर भुगतान की रहती है। दरअसल सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, 2023-24 सीजन के कुल ₹1,11,782 करोड़ बकाये में से अब तक 99.92% यानी ₹1,11,703 करोड़ का भुगतान हो चुका है। वहीं, चालू 2024-25 सीजन में भी 87% भुगतान पूरा हो चुका है। ये आंकड़े बताते हैं कि सरकार अब किसानों के बकाया भुगतान को लेकर ज्यादा गंभीर है। यही वजह है कि FRP तय करते समय लागत से कहीं अधिक रेट तय किया गया, ताकि किसान संतुष्ट रहें और समय पर भुगतान भी सुनिश्चित हो सके।
चीनी उद्योग और श्रमिकों को भी होगा फायदा
दरअसल गन्ना सिर्फ किसानों के लिए ही नहीं, बल्कि देश के चीनी उद्योग और उससे जुड़े लाखों श्रमिकों के लिए भी रीढ़ की हड्डी है। भारत में करीब 5 करोड़ किसान गन्ना उत्पादन से जुड़े हैं और 5 लाख लोग चीनी मिलों में सीधे रूप से कार्य कर रहे हैं। वही इनके अलावा लाखों लोग परिवहन, लोडिंग, कृषि मजदूरी जैसी सहायक गतिविधियों से भी इनकम करते हैं। ऐसे में सरकार के इस फैसले से इन सभी वर्गों को राहत मिलने की उम्मीद है।