हिंदुओं को अल्पसंख्यक दर्जा देने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगा ठोस उदाहरण, कहा – हवा में नहीं होगी समीक्षा

Published on -
supreme court employees officers

कई राज्य में हिंदुओं को अल्पसंख्यक (Hindu Minority) का दर्जा देने की मांग वाली याचिका को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि हिंदुओं को अल्पसंख्यक (Minority) का दर्जा देने को लेकर हवा में समीक्षा नहीं की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि इस मामले को लेकर राज्य की आबादी के आधार पर राज्य के हिसाब से सभी चीज़ों को निर्धारित किया जाना चाहिए और अगर ऐसा नहीं होता तो यह न्याय का उपहास होगा। इसलिए हिंदुओं के लिए अल्पसंख्यक दर्जे के मामले की समीक्षा हवा में नहीं की जाएगी।

इस मामले की याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकर्ताओं से ठोस उदाहरण मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि याचिकर्ताओं द्वारा ये ठोस उद्धरण दिया जाए कि हिंदुओं को कई राज्यों में अल्पसंख्यक का लाभ नहीं मिल रहा है, जहां उनकी आबादी दूसरे समुदायों से कम है।

ये है मामला –

मामला ये है कि सुप्रीम कोर्ट में कई राज्यों में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा ना मिलने पर ये याचिका दी गई है। याचिका में ये मांग की गई है कि उन राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक समुदाय दिया जाए जहां उनकी आबादी दूसरे समुदायों से कम हैं।

दरअसल, याचिका में याचिकर्ताओं द्वारा ये कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर, मिजोरम, नगालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, लक्षद्वीप, मणिपुर और पंजाब में हिंदू अल्पसंख्यक हैं उसके बाद भी अब तक केंद्र सरकार ने देश में सिर्फ मुसलमानों, ईसाइयों, पारसियों, सिखों, बौद्धों और जैनों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया हुआ है।

बारिश में इन खानों से बढ़ाएं बच्चों की इम्यूनिटी, कम होगा मौसमी इंफेक्शन का खतरा

कोर्ट ने साफ कहा –

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य की आबादी के आधार पर राज्य के हिसाब से सभी चीज़ों को निर्धारित किया जाना चाहिए। अगर बिना कोई सबूत के मिजोरम और नगालैंड में बहुसंख्यक ईसाइयों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए या पंजाब में सिखों को अल्पसंख्यक समुदाय माना जाए तो यह न्याय का उपहास होगा।

वहीं जस्टिस यूयू ललित, एस रवींद्र भट और सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि इस तरह के किसी भी समुदाय को धार्मिक या भाषायी अल्पसंख्यक कम्युनिटी माना जाएगा। ये भी कोर्ट द्वारा कहा गया है कि महाराष्ट्र के बाहर मराठी भाषी लोग अल्पसंख्यक समुदाय है और महाराष्ट्र में कन्नड़ बोलने वाले लोग अल्पसंख्यक हैं।

पेश किया जाए ठोस उदाहरण –

ऐसे में कोर्ट ने ये भी स्पष्ट रूप से कह दिया है कि इस मामले को लेकर हवा में समीक्षा नहीं की जाएगी। साथ ही ये भी कहा गया है कि जब तक कोर्ट के पास कोई ठोस सबूत नहीं होगा तब तक वह इस मुद्दे से नहीं निपटेगी। कोर्ट ने कहा जब तक हमें ठोस उदाहरण नहीं मिलते, तब तक हमें इससे नहीं निपटना चाहिए। इसलिए याचिकर्ता पहले ठोस मामला पेश करें।

जानें किन राज्यों में हिन्दू है अल्पसंख्यक –

जानकारी के मुताबिक, याचिकाकर्ता ने कुछ राज्यों/केंद्रशासित प्रदेश का जिक्र करते हुए बताया कि कहां हिंदुओं की आबादी दूसरे समुदायों से कम है। हिंदुओं की लद्दाख में आबादी 1 प्रतिशत, मिजोरम में 2.8 प्रतिशत, लक्षद्वीप में 2.8 प्रतिशत, कश्मीर में 4 प्रतिशत, नगालैंड में 8.7 प्रतिशत, मेघालय में 11.5 प्रतिशत, अरुणाचल प्रदेश में 29 प्रतिशत, पंजाब में 38.5 प्रतिशत और मणिपुर में 41.3 प्रतिशत है।

 

 


About Author

Ayushi Jain

मुझे यह कहने की ज़रूरत नहीं है कि अपने आसपास की चीज़ों, घटनाओं और लोगों के बारे में ताज़ा जानकारी रखना मनुष्य का सहज स्वभाव है। उसमें जिज्ञासा का भाव बहुत प्रबल होता है। यही जिज्ञासा समाचार और व्यापक अर्थ में पत्रकारिता का मूल तत्त्व है। मुझे गर्व है मैं एक पत्रकार हूं।मैं पत्रकारिता में 4 वर्षों से सक्रिय हूं। मुझे डिजिटल मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया तक का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कंटेंट राइटिंग, कंटेंट क्यूरेशन, और कॉपी टाइपिंग में कुशल हूं। मैं वास्तविक समय की खबरों को कवर करने और उन्हें प्रस्तुत करने में उत्कृष्ट। मैं दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली से संबंधित विभिन्न विषयों पर लिखना जानती हूं। मैने माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी से बीएससी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ग्रेजुएशन किया है। वहीं पोस्ट ग्रेजुएशन एमए विज्ञापन और जनसंपर्क में किया है।

Other Latest News