सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पेगासस जांच रिपोर्ट नहीं होगी सार्वजनिक, कहा- यदि देश आतंकियों की जासूसी करे तो इसमें गलत क्या है?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा एक बात साफ कर दें कि स्पाइवेयर रखने में कोई परेशानी नहीं है। राष्ट्र की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं कर सकते। हां सवाल यह हो सकता है कि इसका इस्तेमाल किसके खिलाफ किया जा रहा है यदि इसका इस्तेमाल सिविल सोसाइटी व्यक्ति के खिलाफ किया जा रहा है, तो मामले पर विचार किया जाएगा।

Supreme Court on Pegasus case: भारत की सर्वोच्च अदालत ने चर्चित पेगासस मामले पर सुनवाई करते हुए आज मंगलवार को एक बड़ा फैसला दिया है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा  वे ऐसी किसी भी रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करेंगे, जो देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ी हो। कोर्ट ने हैरानी जताई कि सरकार आतंकियों की जासूसी करा रही हैं तो इसमें गलत क्या है?

पेगासस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि तकनीकी समिति की रिपोर्ट पर सड़कों पर चर्चा नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के मुद्दे पर पेगासस की कोई भी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएगी।

आतंकियों के खिलाफ स्पाइवेयर इस्तेमाल में गलत क्या?

एक याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील ने अपनी दलील में कहा कि सवाल ये था कि क्या सरकार के पास स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर है और क्या वह इसका इस्तेमाल कर सकती है? अगर सरकार के पास ये है तो कोई भी उन्हें इसका इस्तेमाल करने से नहीं रोक सकता।, वकील की दलील पर पीठ ने कहा कि यदि देश आतंकियों के खिलाफ स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर रहा है तो इसमें गलत क्या है? स्पाइवेयर रखना गलत नहीं है, लेकिन ये किसके खिलाफ इस्तेमाल हो रहा है, सवाल इसका है। अदालत ने कहा  देश की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता।

“देश की सुरक्षा से जुड़ी रिपोर्ट को नहीं छुआ जाएगा” 

सुनवाई करते हुए दो जजों के बेंच ने कहा कि कोई भी ऐसी रिपोर्ट, जो देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ी हो उसे छुआ नहीं जाएगा, लेकिन व्यक्तिगत तौर पर अगर कोई यह जानना चाहता है कि वह रिपोर्ट में शामिल है या नहीं तो उसे इसकी जानकारी दी जा सकती है। लेकिन इसमें इस बात का ध्यान रखा जायेगा कि रिपोर्ट को ऐसा दस्तावेज नहीं बनाया जाएगा कि सड़कों पर भी इसकी चर्चा हो। वे इस बात की जांच करेंगे कि किस हद तक तकनीकी समिति की रिपोर्ट को संबंधित व्यक्ति के साथ साझा किया जा सकता है। इसके बाद पीठ ने मामले पर सुनवाई 30 जुलाई तक के लिए टाल दी।


About Author
Atul Saxena

Atul Saxena

पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

Other Latest News