सुप्रीम कोर्ट का अहम निर्णय, कर्मचारियों को दी बड़ी राहत, एनसीएलएटी का आदेश बरकरार, मिलेगा पीएफ-ग्रेच्युटी का लाभ

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा जो भी इस एयरलाइन से जुड़ने जा रहा है उसे यह पता होगा कि इस पर कर्मचारियों का बकाया है। कर्मचारियों का बकाया हमेशा तरजीह पाता है। कहीं तो, कुछ तो अंतिम होना चाहिए। हम इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते।

Jet Airways Employees 2023: सुप्रीम कोर्ट ने जेट एयरवेज के पूर्व कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है।सुप्रीम कोर्ट ने जेट एयरवेज के पूर्व कर्मचारियों के बकाया पर राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण यानि एनसीएलएटी के आदेश को बरकरार रखा है। इसमें जेट एयरवेज को पूर्व कर्मचारियों के भविष्य निधि तथा ग्रेच्युटी के बकाया भुगतान का निर्देश दिया गया था। यह आदेश नकदी संकट से जूझ रही एयरलाइन के नए मालिक जालान-फ्रिच कर्सोटियम के लिए एक बड़ा झटका है।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जो कोई भी कदम उठाता है वह जानता है कि यह श्रम के अधिभावी बकाया के अधीन होगा।  अवैतनिक श्रम बकाया को हमेशा प्राथमिकता दी जाती है। कहीं न कहीं, इसे अंतिम रूप दिया जाना चाहिए। क्षमा करें, हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे।  कंसोर्टियम के वकील ने प्रस्तुत किया कि अतिरिक्त 200 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी और यह एयरलाइन के पुनरुद्धार के लिए कठिन हो जाएगा, और आगे कहा कि संकल्प योजना, एक बार स्वीकृत होने के बाद, न तो वापस ली जा सकती है और न ही संशोधित की जा सकती है।

NCLAT का आदेश बरकरार

सुप्रीम कोर्ट ने कंसोर्टियम की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और एनसीएलएटी के आदेश को बरकरार रखा।जेट एयरवेज के असंतुष्ट कर्मचारियों के संघ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ भटनागर और अधिवक्ता स्वर्णेंदु चटर्जी अदालत में पेश हुए, जिन्होंने एयरलाइन की दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने की तारीख को या उसके बाद इस्तीफा दे दिया था। इस संघ में एयरलाइन के 270 पूर्व कर्मचारी शामिल हैं। पूर्व कर्मचारियों ने कंसोर्टियम के कदम की आशंका जताते हुए शीर्ष अदालत के समक्ष प्रतिवाद याचिका दायर की थी।

ग्रेच्युटी-पीएफ बकाया का भुगतान

कंसोर्टियम के अनुसार, सूचना ज्ञापन में भविष्य निधि और ग्रेच्युटी बकाये के प्रति कॉपोर्रेट देनदार (जेट एयरवेज) की किसी भी देनदारियों का खुलासा नहीं किया गया था। पिछले साल अक्टूबर में एनसीएलएटी ने कंसोर्टियम को निर्देश दिया था कि वह एयरलाइन के कर्मचारियों की ग्रेच्युटी बकाया और भविष्य निधि बकाया का भुगतान करें। जेट एयरवेज (इंडिया) लिमिटेड के लिए सफल समाधान आवेदकों ने एनसीएलएटी के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था।