पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपुल पंचोली को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त करने के फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया है, क्योंकि यह निर्णय सर्वसम्मति से नहीं लिया गया। सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बीवी नागरथना ने इस नियुक्ति के खिलाफ 4:1 के निर्णय में असहमति जताई। जस्टिस नागरथना सितंबर 2027 में देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनेंगी। उन्होंने कहा कि यह नियुक्ति न्याय प्रशासन के लिए प्रतिकूल होगी और कॉलेजियम प्रणाली की विश्वसनीयता को कमजोर करेगी। उन्होंने यह भी बताया कि जस्टिस पंचोली से वरिष्ठ कई अन्य जज हैं, जो सुप्रीम कोर्ट में सेवा के लिए अधिक योग्य हैं।
न्यायिक पारदर्शिता के लिए काम करने वाली संस्था कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल एकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (CJAR) ने इस नियुक्ति पर नाराजगी जताई। CJAR ने कहा कि सोमवार को जारी बयान में निर्णय प्रक्रिया का विवरण नहीं दिया गया, जो पहले की पारदर्शिता संबंधी नीतियों का उल्लंघन है। संस्था ने यह भी उल्लेख किया कि जस्टिस नागरथना ने पहले भी मई में इस नियुक्ति पर आपत्ति जताई थी। गुजरात से पटना हाई कोर्ट में जस्टिस पंचोली के तबादले से संबंधित बैठक के विवरण को सार्वजनिक करने की मांग की थी।
गुजरात के होंगे तीन जज
CJAR ने यह भी चिंता जताई कि इस नियुक्ति से सुप्रीम कोर्ट में एक समय में गुजरात के तीन जज होंगे, जो अन्य राज्यों के लिए अनुचित है। संस्था ने बताया कि जस्टिस पंचोली अखिल भारतीय वरिष्ठता सूची में 57वें स्थान पर हैं और उनकी नियुक्ति का आधार स्पष्ट नहीं है। CJAR ने मांग की कि जस्टिस नागरथना की असहमति को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाए, जैसा कि पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने ऐसी जानकारी को सार्वजनिक करने की परंपरा बनाई थी।
कॉलेजियम प्रणाली में जनता का विश्वास कम
CJAR ने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी से कॉलेजियम प्रणाली में जनता का विश्वास कम होता है। संस्था ने सुप्रीम कोर्ट के इस प्रस्ताव में तीन कमियों को रेखांकित किया: नियुक्त व्यक्ति का पृष्ठभूमि विवरण, निर्णय लेने वाले कोरम का आकार और कम वरिष्ठ उम्मीदवार को प्राथमिकता देने का मानदंड। CJAR ने इन विवरणों को RTI और CVC अधिनियमों के तहत सार्वजनिक करने की मांग की है।





