सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तेलंगाना बीजेपी इकाई की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें 2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी के भाषण को लेकर उनके खिलाफ मानहानि के मामले को रद्द करने के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और अतुल एस. चंदुरकर की पीठ ने कहा कि राजनेताओं को ऐसी बातों को सहन करने के लिए मोटी चमड़ी होनी चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा, “यदि आप एक मजबूत राजनेता हैं तो आपको इन सब को सहने के लिए मोटी चमड़ी रखनी होगी।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि अदालतों को राजनीतिक युद्ध का मैदान नहीं बनाया जा सकता। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को चेतावनी दी कि यदि वे आगे बहस करेंगे तो उन पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
400 से अधिक सीटों का दावा
रेवंत रेड्डी ने कथित तौर पर अपने भाषण में कहा था कि यदि बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में 400 से अधिक सीटें हासिल करती है, तो वह संविधान में बदलाव करेगी और आरक्षण को समाप्त कर देगी। इस बयान के आधार पर बीजेपी तेलंगाना के महासचिव करम वेंकटेश्वरलु ने उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज किया था।
निचली अदालत में लंबित मामला
तेलंगाना हाई कोर्ट ने 1 अगस्त को रेड्डी की याचिका को स्वीकार करते हुए हैदराबाद की एक निचली अदालत में लंबित इस मामले की कार्यवाही को रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के इस फैसले को बरकरार रखा और बीजेपी की याचिका को खारिज कर दिया।





