सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर पोस्ट मामले में दर्ज एफआईआर की जांच कर रही विशेष जांच टीम (SIT) को फटकार लगाई। जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने जांच टीम से सवाल किया कि वह जांच को गलत दिशा में क्यों ले जा रही है। कोर्ट ने प्रोफेसर को ऑनलाइन पोस्ट करने या लेख लिखने की अनुमति दी, बशर्ते वह विचाराधीन मामलों पर टिप्पणी न करें। कोर्ट ने कहा कि महमूदाबाद के खिलाफ गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण जारी रहेगा।
बेंच ने एसआईटी को दो महीने का समय मांगने के लिए भी लताड़ा जबकि यह काम दो दिन में हो सकता था। कोर्ट ने जांच को चार सप्ताह के भीतर पूरा करने और रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एसआईटी को दो पोस्ट्स के कंटेंट की जांच कर यह बताना है कि उनमें कौन सी पंक्ति या पैराग्राफ से अपराध बनता है। बेंच ने जांच को सही दिशा में रखने की बात पर जोर दिया।
मोबाइल फोन जब्त करने पर नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार द्वारा गठित एसआईटी पर प्रोफेसर का मोबाइल फोन जब्त करने के लिए भी नाराजगी जताई। कोर्ट ने सवाल किया कि मोबाइल में मौजूद सामग्री, जो मामले से असंबंधित है उसे जांच का हिस्सा क्यों बनाया गया। बेंच ने कहा कि अगर जांच के दौरान कोई अन्य अपराध सामने आता है तो उसके लिए अलग एफआईआर दर्ज होनी चाहिए, न कि मौजूदा मामले में उसे जोड़ा जाए।
चार बार समन भेजने की भी आलोचना
कोर्ट ने एसआईटी की ओर से प्रोफेसर को कम से कम चार बार समन भेजने की भी आलोचना की। अपने आदेश में बेंच ने कहा कि चूंकि महमूदाबाद पहले ही जांच में शामिल हो चुके हैं और अपने व्यक्तिगत डिवाइस जमा कर चुके हैं। इसलिए एसआईटी को उन्हें दोबारा समन नहीं करना चाहिए। कोर्ट ने जांच को निष्पक्ष और तेजी से पूरा करने पर जोर दिया।





