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Fri, Dec 19, 2025

2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट: सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, कहा- ये फैसला मिसाल नहीं

Written by:Atul Saxena
Published:
19 साल पहले 11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में 7 बम धमाके हुए थे इसमें 189 लोगों ने जान गंवाई थी। महाराष्ट्र ATS ने 13 लोगों को गिरफ्तार कर उनपर केस चलाया था। 2015 में ट्रायल कोर्ट ने 12 आरोपियों को मामले में दोषी ठहराया और 5 आरोपियों को फांसी की सजा 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कार्रवाई के दौरान एक आरोपी की मौत हो गई थी।
2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट: सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, कहा- ये फैसला मिसाल नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई ट्रेन ब्लास्ट 2006 मामले में बरी हुए आरोपियों को झटका देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है, और आरोपियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सोमवार को हाई कोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को ये कहकर बरी कर दिया था कि ‘अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा इसलिए यह विश्वास करना मुश्किल है कि आरोपियों ने अपराध किया है’। हाई कोर्ट के फैसले को महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों की जेल से रिहाई को बरकरार रखा है।

11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सीरियल बम धमाकों के आरोपियों को बरी कर उनकी रिहाई के आदेश ने चुना दिया था, 19 साल बाद आये फैसले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए सभी 12 आरोपियों को दोषमुक्त करार देते हुए बरी कर दिया था, निचली अदलत ने पांच आरोपियों को फांसी की सजा और 7 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

हाई कोर्ट के आदेश के बाद  सभी आरोपी जेल से रिहा 

जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांडक की स्पेशल बेंच के फैसले के बाद इसकी प्रतिक्रिया हुई बम ब्लास्ट में मरने वाले 189 लोगों के परिजनों में पीड़ा और निराशा का भाव जागा उधर महाराष्ट्र सरकार ने भी फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती देने का निर्णय लिया चूँकि हाई कोर्ट ने आरोपियों की तत्काल रिहाई का आदेश दिया था इसलिए जब तक सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची तब तक सभी आरोपी जेल से बाहर आ चुके थे।

हाईकोर्ट के फैसले को नहीं माना जायेगा मिसाल 

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए आज हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी और सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया है एवं राज्य सरकार द्वारा दायर अपील पर उनका जवाब मांगा है।  सर्वोच्च अदालत ने कहा कि ‘उच्च न्यायालय के फैसले को मिसाल नहीं माना जाएगा’। इसका मतलब है कि जो लोग इसी तरह के आरोपों में जेल में बंद हैं, वे जमानत हासिल करने के लिए इस आदेश का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।

महाराष्ट्र ATS ने की थी मामले की जांच

मुंबई की लोकल ट्रेनों में 11 जुलाई 2006 को कुछ ही मिनट में  7 बम धमाके हुए थे। इस घटना में कुल 189 नागरिकों की मौत हो गई थी और लगभग 820 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। घटना से महाराष्ट्र समेत पूरा देश हिल गया था,  इस घटना को “7/11 मुंबई ब्लास्ट” के नाम से जाना जाता है। महाराष्ट्र एंटी-टेररिज्म स्क्वाड (ATS) ने इसकी जाँच की थी। ATS ने दावा किया कि आरोपी प्रतिबंधित छात्र संगठन सिमी के सदस्य थे और उन्होंने ही पाकिस्तान स्थित आतंकी सगंठन लश्कर ए तैयबा के सदस्यों के साथ मिलकर बम धमाके की साजिश रची थी।