सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद को दोबारा बनाने संबंधी सोशल मीडिया पोस्ट करने वाले लॉ ग्रेजुएट मोहम्मद फैय्याज मंसूरी के खिलाफ आपराधिक मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी, जिससे मामला ट्रायल कोर्ट में विचार के लिए छोड़ दिया गया।

आपराधिक कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं
जस्टिस सूर्य कांत और जोयमाल्या बागची की बेंच ने पोस्ट देखने के बाद कहा कि वे आपराधिक कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते। वकील तल्हा अब्दुल रहमान ने दलील दी कि पोस्ट में कोई अश्लीलता नहीं थी और मंसूरी ने सिर्फ तुर्की की एक मस्जिद की तरह बाबरी को दोबारा बनाने की बात कही थी।
कड़ी टिप्पणी से बचने की चेतावनी
हालांकि, कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी से बचने की चेतावनी दी, जिसके बाद वकील ने याचिका वापस ले ली। कोर्ट ने आदेश दिया कि ट्रायल कोर्ट में आरोपी के सभी बचाव पक्ष के दावों पर स्वतंत्र रूप से विचार किया जाए। मामला अगस्त 2020 का है, जब मंसूरी की पोस्ट में किसी अन्य व्यक्ति ने हिंदू देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। लखीमपुर खीरी के डीएम ने उन्हें हिरासत में लिया था, लेकिन हाईकोर्ट ने हिरासत रद्द कर दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी आपराधिक कार्यवाही रद्द करने से इनकार किया था।










