सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ आपराधिक अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायिक कार्यवाही को राजनीतिक रंग देने के खिलाफ चेतावनी दी। यह याचिका शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ममता बनर्जी के कथित टिप्पणियों को लेकर दायर की गई थी। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा, “अपनी राजनीतिक लड़ाई को इस कोर्ट के बाहर लड़ें।”
याचिका एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट आत्मदीप की ओर से दायर की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया कि मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद न्यायपालिका की गरिमा को कम करने वाली आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने पीठ से सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया और बताया कि अटॉर्नी जनरल को आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए सहमति हेतु अनुरोध भेजा गया है।
‘राजनीति करने की कोशिश न करें‘
मुख्य न्यायाधीश ने इस पर कहा, “क्या आपको इतना यकीन है कि आपको सहमति मिल जाएगी? कोर्ट के सामने राजनीति करने की कोशिश न करें।” सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई को चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया। यह याचिका अप्रैल 2025 के एक फैसले से संबंधित है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा था, जिसने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग की ओर से 2016 में की गई लगभग 25,000 नियुक्तियों को अवैध घोषित किया था।
हाई कोर्ट के निष्कर्ष पर सहमति
शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के इस निष्कर्ष से सहमति जताई थी कि भर्ती प्रक्रिया में धोखाधड़ी हुई थी और इसे बचाया नहीं जा सकता। ममता बनर्जी की ओर से इस फैसले पर कथित तौर पर की गई आलोचनात्मक टिप्पणियों के बाद यह अवमानना याचिका दायर की गई।





