Supreme Court order For Contract Employees : कर्मचारियों पेंशन भोगियों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इसके तहत अनुबंध सेवाओं को पेंशन में गीने जाने के हाई कोर्ट के निर्णय पर अब सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी है। जिसका लाभ अनुबंधित कर्मचारियों को मिलेगा। अनुबंध में दी गई सेवा पेंशन के लिए गिनी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद लाखों कर्मचारियों सहित पेंशन भोगियों को इसका लाभ मिलेगा।
अनुबंधित कर्मचारियों की सेवाओं पर क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार को 4 महीने में लाभ देने के आदेश दिए हैं। मामले की सुनवाई करते हुए कहा गया कि अनुबंध सेवाओं को पेंशन के लिए गिने जाने के निर्णय बिल्कुल सही है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ ही सैकड़ों कर्मचारियों को पेंशन का लाभ मिलेगा। इस निर्णय से अनुबंध वाली सेवा को भी पेंशन के लिए गिना जाएगा। जिनकी कुल नियमित सेवा न्यूनतम पेंशन के लिए कम थी, अब उन्हें भी बढ़े हुए पेंशन का लाभ मिल सकेगा। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रविंद्र भट्ट और अरविंद कुमार के पीठ ने राज्य सरकार की अपील को खारिज किया है।
अनुबंधित कर्मचारियों को पेंशन नियम में कैसे मिलेगी राहत
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद आदेश दिया है कि उन सभी कर्मचारियों से विकल्प लिया जाए, जो वर्ष 2003 से पूर्व अनुबंध पर थे और 2003 के पश्चात उन्हें नियमितीकरण का लाभ दिया गया है। उसके तुरंत बाद उनके पेंशन का निर्धारण किया जाए और 4 महीने में सारी प्रक्रिया को पूरा किया जाए।
पेंशन नियम पर किया था हिमाचल हाईकोर्ट का आदेश
दरअसल 26 दिसंबर 2019 को हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और बारोवालिया की खंडपीठ ने आयुर्वेदिक चिकित्सक की विधवा शीला देवी की याचिका में अनुबंध सेवा को पेंशन के लिए जोड़े जाने का निर्णय सुनाया था। हाई कोर्ट द्वारा निर्णय में कहा गया था कि जीवन के खुशहाली के दिनों में कम वेतन पर अनुबंध के आधार पर दी गई सेवा से राज्य सरकार को लाभ हुआ है। ऐसे में इस दौरान दी गई सेवा को पेंशन के लिए ना गिना जाना राज्य सरकार के अनुचित व्यापारिक व्यवहार को दर्शाता है।
हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पति की ओर से अनुबंध के आधार पर दी गई सेवा को पेंशन के लिए गिने जाने को न्याय संगत पाया गया है। इसके लिए आदेश भी जारी कर दिए गए। ऐसे में अनुबंध सेवा को पेंशन के लिए गिना जाना था।
हिमाचल अनुबंध सेवा पेंशन निर्धारण पर जानें क्या था मामला
बता दे कि वर्ष 2009 में आयुर्वेद चिकित्सा के पद पर अनुबंध के आधार पर नियुक्त हुए कर्मचारियों को नियमित किया गया था। 23 जनवरी 2011 को याचिकाकर्ता के पति का देहांत हो गया। याचिकाकर्ता की ओर से राज्य सरकार के समक्ष पेंशन के लिए आवेदन किया गया था। आवेदन में दलील देते हुए राज्य सरकार ने उसे खारिज कर दिया था कि अनुबंध सेवा को पेंशन के लिए नहीं गिना जा सकता है। हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगने के साथ ही याचिकाकर्ता सहित अन्य कर्मचारियों सहित पेंशन भोगियों को पेंशन का लाभ मिलेगा।