नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज एक अहम् और बड़ा फैसला सुनाते हुए वेश्यावृत्ति को एक पेशा (Supreme Court said prostitution is a profession) माना। वैश्यावृत्ति को वैध बताते हुए देश की सर्वोच्च अदालत ने पुलिस को आदेश दिया कि वो बेवजह सेक्स वर्कर्स को परेशान नहीं करे। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि इस देश के प्रत्येक व्यक्ति को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मानजनक जीवन का अधिकार है इसलिए सेक्स वर्कर भी कानून के समक्ष सम्मान व बराबरी के हकदार हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार को कोरोना के दौरान सेक्स वर्कर्स को आई परेशानियों को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल नागेश्वर राव, बीआर गवई और एएस बोपन्ना की बेंच ने सेक्स वर्कर्स के अधिकारों की रक्षा के लिए छह सूत्रीय दिशा निर्देश भी जारी किए हैं। कोर्ट ने इन सिफारिशों पर सुनवाई की अगली तारीख 27 जुलाई तय की है। केंद्र को इन पर जवाब देने को कहा है।
कोर्ट ने कहा कि वेश्यावृत्ति भी एक पेशा है प्रोफेशन है। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस को आदेश दिया है कि उन्हें सेक्स वर्कर्स के काम में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। पुलिस को बालिग और सहमति से सेक्स वर्क करने वाली महिलाओं पर आपराधिक कार्रवाई नहीं करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्वैच्छिक वेश्यावृत्ति अवैध नहीं है (sc says prostitution is legal) लेकिन वेश्यालय चलाना अवैध और गैरकानूनी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि शिकायत दर्ज कराने वाली सेक्स वर्कर्स के साथ पुलिस भेदभाव न करे। यदि उसके खिलाफ किया गया अपराध यौन प्रकृति का हो तो तत्काल चिकित्सा और कानूनी मदद समेत हर सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। कोर्ट ने मीडिया को भी नसीहत दी। अदालत ने कहा कि पुलिस द्वारा गिरफ्तारी, छापेमारी और बचाव अभियान के दौरान सेक्स वर्कर्स की पहचान उजागर नहीं करना चाहिए। चाहे वह पीड़ित हों या आरोपी हों।
सर्वोच्चा अदालत ने कहा की एक महिला सेक्स वर्कर है, सिर्फ इसलिए उसके बच्चे को उसकी मां से अलग नहीं किया जाना चाहिए। मौलिक सुरक्षा और सम्मानपूर्ण जीवन का अधिकार सेक्स वर्कर और उनके बच्चों को भी है। अगर नाबालिग को वेश्यालय में रहते पाया जाता है या वो सेक्स वर्कर के साथ रहते हुए मिलता है तो ऐसा नहीं माना जाना चाहिए कि बच्चा तस्करी करके लाया गया है।
सुनवाई करैत हुए सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस से कहा कि पुलिस को सभी सेक्स वर्कर्स के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना चाहिए, उनके साथ मौखिक या शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए, न ही उन्हें किसी भी यौन गतिविधि के लिए मजबूर करना चाहिए।