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Tue, Dec 16, 2025

अब हर रोज किया जाएगा अयोध्या के रामलला का सूर्य तिलक, रामनवमी के शुभ अवसर पर की जाएगी शुरुआत

Written by:Rishabh Namdev
Published:
अयोध्या के रामलला का सूर्य तिलक अब हर रोज किया जाएगा। इसकी शुरुआत रामनवमी के शुभ अवसर पर की जाएगी। हालांकि, अभी यह प्लान मंदिर समिति की ओर से 20 सालों के लिए बनाया गया है। इस खबर में देखिए किस प्रकार रामलला का सूर्य तिलक किया जाएगा।
अब हर रोज किया जाएगा अयोध्या के रामलला का सूर्य तिलक, रामनवमी के शुभ अवसर पर की जाएगी शुरुआत

अब हर रोज रामलला का सूर्य तिलक किया जाएगा। इस बार रामनवमी 6 अप्रैल को है। रामनवमी के शुभ अवसर से इसकी शुरुआत की जाएगी। मंदिर निर्माण समिति द्वारा यह फैसला लिया गया है। सूर्य तिलक के दौरान रामलला के ललाट पर सूर्य की किरणें लगभग 4 मिनट तक पड़ेंगी। जानकारी दे दें कि पिछले वर्ष 17 अप्रैल 2024 रामनवमी को रामलला का राजतिलक सूर्य तिलक से किया गया था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगले 20 साल तक के लिए यह प्लानिंग की गई है। आने वाले 20 साल तक प्रभु राम का सूर्य तिलक किया जाएगा। राम मंदिर का निर्माण भी लगभग पूरा होने वाला है। जल्द ही शिखर बनकर तैयार हो जाएगा। मंदिर की पहली मंजिल बेहद ही खूबसूरत होगी। इस पर राम दरबार की स्थापना 15 मई तक कर दी जाएगी।

कैसे होगा सूर्य तिलक?

दरअसल, रामलला के सूर्य तिलक के इस मॉडल को आईआईटी रुड़की द्वारा तैयार किया गया है। इसे सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने खास ऑटो मैकेनिक सिस्टम के तहत तैयार किया है। जब भी मंदिर के सबसे ऊपरी तल पर लगे दर्पण पर सूर्य की किरण पड़ेगी, तो यह दर्पण से 90 डिग्री तक परावर्तित होकर एक पीतल के पाइप में चली जाएगी। पीतल के इस पाइप के छोर पर एक और दर्पण लगा रहेगा। इस दर्पण से एक बार फिर सूर्य की किरणों को मोड़ा जाएगा। इस बार ये किरणें परावर्तित होने के बाद नीचे की ओर जाएंगी। किरणों के इस रास्ते में एक के बाद एक तीन लेंस जोड़े गए हैं। यही कारण है कि इनकी तीव्रता और बढ़ जाएगी।

सूर्य तिलक दोपहर 12:00 बजे किया जाएगा

पाइप के दूसरे छोर पर भी दर्पण लगा है। जब तेज गति से आती किरणें इस दर्पण पर पड़ेंगी, तो यह 90 डिग्री तक फिर मुड़ जाएंगी। इसके बाद ये किरणें सीधे रामलला के मस्तक पर पहुंचेंगी। हर रोज इसी तरह अयोध्या के रामलला का सूर्य तिलक किया जाएगा। सूर्य तिलक दोपहर 12:00 बजे किया जाएगा, जो प्रभु राम के मुखमंडल को प्रकाशमान करेगा। दरअसल, विशेष दिनों में जब भी सूर्य देव की पूजा की जाती है, तो आमतौर पर यह दोपहर में ही की जाती है। क्योंकि इस दौरान सूर्य देवता अपने पूर्ण प्रभाव में होते हैं। भारतीय धर्म दर्शन के मुताबिक, उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने और पूजा करने से तेजस्विता और आरोग्य की प्राप्ति होती है। कुंडली में सूर्य की स्थिति भी बेहद मजबूत रहती है। जब भगवान राम का जन्म हुआ था, वह अभिजीत मुहूर्त था। तब सूर्य अपने पूर्ण प्रभाव में थे।