भारतीय जनता पार्टी के नेता और पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने बिहार की तर्ज पर पश्चिम बंगाल में भी रोहिंग्या मुस्लिमों के नाम मतदाता सूची से हटाने की मांग की। भाजपा विधायकों और नेताओं के साथ मार्च का नेतृत्व करते हुए अधिकारी ने कहा कि राज्य की मतदाता सूची में लाखों रोहिंग्या मुस्लिमों के नाम शामिल हैं जिन्हें हटाया जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह मुद्दा बंगालियों या बंगाली भाषा का नहीं बल्कि राष्ट्रीय हित का है और बंगाल को बचाना जरूरी है। उन्होंने बांग्लादेश के साथ साझा 540 किमी की सीमा का जिक्र किया जो उनके अनुसार पूरी तरह असुरक्षित है।
सुवेंदु अधिकारी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि उन्होंने राज्य को बांग्लादेश में बदल दिया है और सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रही हैं। उन्होंने दावा किया कि रात में काम करने वाली महिलाओं और पुरुषों तक के लिए राज्य असुरक्षित है। उन्होंने पश्चिम बंगाल पुलिस को ममता पुलिस करार देते हुए कहा कि अगर निर्वाचन आयोग फर्जी मतदाताओं को हटाए और गुंडों को जेल में डाले तो तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) बंगाल में तीसरे स्थान पर खिसक जाएगी। उन्होंने कहा कि इस बार ममता बनर्जी को खुला मैदान नहीं मिलेगा।
रोहिंग्या मुस्लिमों के समर्थन का आरोप
भाजपा का यह विरोध टीएमसी पर रोहिंग्या मुस्लिमों का समर्थन करने के उनके चल रहे आरोपों की पृष्ठभूमि में आया है। मंगलवार को अधिकारी ने दावा किया कि जहां भाजपा रोहिंग्याओं की मौजूदगी का विरोध कर रही है। वहीं, ममता बनर्जी उनकी रक्षा कर रही हैं। उन्होंने कहा, “ममता बनर्जी रोहिंग्याओं के समर्थन में रैली कर रही हैं जबकि हम उनके खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। ममता बनर्जी हिंदू बंगालियों को नष्ट कर रही हैं।” यह बयान दोनों दलों के बीच चल रही तीखी राजनीतिक जंग को और तेज करता है।
क्या है SIR सर्वे, जानिए
बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) सर्वे 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को अपडेट करने के लिए चुनाव आयोग की ओर से शुरू किया गया है। 24 जून से शुरू यह अभियान मृत, स्थानांतरित और दोहरे पंजीकरण वाले मतदाताओं को हटाने और पात्र मतदाताओं को शामिल करने पर केंद्रित है। अब तक 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 6.6 करोड़ (83.66%) ने गणना फॉर्म जमा किए हैं। 35.5 लाख नाम हटाए जा चुके हैं जो 70 लाख तक पहुंच सकता है। इस प्रक्रिया में आधार, जन्म प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज मांगे जा रहे हैं जिससे सीमांचल जैसे क्षेत्रों में विवाद और भ्रम की स्थिति है। विपक्ष इसे चुनाव चोरी और नागरिकता सत्यापन से जोड़कर बीजेपी की साजिश बता रहा है जबकि चुनाव आयोग इसे निष्पक्ष चुनाव के लिए आवश्यक मानता है।





