हैदराबाद के तेलंगाना हाई कोर्ट ने हाल ही में एक 17 वर्षीय मानव तस्करी पीड़िता के गर्भपात के लिए राज्य अधिकारियों को तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया। यह आदेश मेडिकल बोर्ड की सिफारिश के आधार पर दिया गया। जस्टिस के. सरथ की बेंच ने 9 जुलाई को यह आदेश मानव तस्करी पीड़ितों के लिए समर्पित संगठन प्रज्वाला की ओर से दायर एक रिट याचिका के जवाब में सुनाया।
बेंच ने 1 जुलाई को राज्य सरकार और हैदराबाद के गांधी अस्पताल के अधीक्षक को निर्देश दिया था कि वे तत्काल एक मेडिकल बोर्ड का गठन करें। इस बोर्ड को नाबालिग पीड़िता के 21 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की याचिका की जांच कर एक सप्ताह के भीतर अपनी राय कोर्ट को सूचित करने को कहा गया था। याचिका में राज्य के स्वास्थ्य, चिकित्सा और परिवार कल्याण विभाग, महिला, बाल, विकलांग व वरिष्ठ नागरिक विभाग और गांधी मेडिकल अस्पताल से नाबालिग पर आवश्यक चिकित्सा परीक्षण करने और गर्भपात की अनुमति देने की मांग की गई थी।
नाबालिग पीड़िता को गंभीर नुकसान
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील दीपक मिश्रा ने तर्क दिया कि गर्भावस्था जारी रखने से नाबालिग पीड़िता को गंभीर नुकसान हो सकता है। सुनवाई के दौरान मेडिकल और स्वास्थ्य के लिए सहायक सरकारी वकील ने 8 जुलाई को मेडिकल बोर्ड की एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट में पीड़िता की जांच के बाद स्पष्ट रूप से कहा गया कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट के संशोधन धारा (3) के स्पष्टीकरण (2) के अनुसार पीड़िता का गर्भ समाप्त किया जा सकता है।
गर्भपात के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश
हाई कोर्ट ने अपने फैसले कहा, ‘मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर पीड़िता का गर्भ समाप्त किया जा सकता है और पीड़िता भी इसके लिए सहमत है। इसके मद्देनजर संबंधित अधिकारियों को पीड़िता के गर्भपात के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है।’ इस मामले की अब सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चा हो रही है और लोग अपनी-अपनी राय जाहिर कर रहे हैं।





