तेलंगाना की प्रमुख नेता के. कविता को भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने कथित पार्टी-विरोधी गतिविधियों के कारण निलंबित कर दिया, जिसके बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। यह घटना आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी की बहन वाई.एस. शर्मिला के विद्रोह से मिलती-जुलती है, जिन्होंने संपत्ति विवाद के बाद अपने भाई के खिलाफ बगावत कर तेलंगाना में अपनी पार्टी (वाईएसआरटीपी) बनाई थी। हालांकि, वह इसे चला नहीं पाईं और बाद में इसे कांग्रेस में विलय कर दिया, और अब वह आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष हैं। कविता ने अपने पिता और बीआरएस अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) के करीबी लोगों पर कालेश्वरम परियोजना में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, जिससे उनके पिता की छवि को नुकसान पहुंचा।
कविता ने हाल ही में कालेश्वरम सिंचाई परियोजना में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की घोषणा के बाद केसीआर के करीबी सहयोगियों, जैसे उनके चचेरे भाइयों हरीश राव और संतोष कुमार, पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने केसीआर के नाम का दुरुपयोग कर लाभ उठाया। दूसरी ओर, शर्मिला ने अपने भाई जगन की आलोचना कर पिछले साल के आम और विधानसभा चुनावों में विपक्ष को मजबूती दी, जिसके परिणामस्वरूप वाईएसआरसीपी को करारी हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, शर्मिला की अगुवाई में कांग्रेस को आंध्र प्रदेश में कोई सीट नहीं मिली, लेकिन उनकी मुहिम ने जगन की प्रतिष्ठा को काफी नुकसान पहुंचाया।
दुर्भावनापूर्ण अभियान का जवाब
कविता ने अपने भाई और बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामा राव पर सीधा हमला नहीं किया, लेकिन सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ चलाए गए दुर्भावनापूर्ण अभियान का जवाब न देने के लिए उनकी आलोचना की। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक तेलकपल्ली रवि के अनुसार, कविता का बीआरएस से बाहर होना पार्टी के लिए असुविधाजनक और नकारात्मक हो सकता है, हालांकि वह कोई बड़ा बदलाव लाने वाली नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि क्षेत्रीय दलों में महिलाओं को परिस्थितियों के आधार पर या तो बढ़ावा दिया जाता है या पीछे रखा जाता है और कविता की स्थिति को शर्मिला से जोड़कर देखा जा सकता है।
कांग्रेस में शामिल होने की कोशिश
तेलंगाना कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि कविता अगर कांग्रेस में शामिल होने की कोशिश करेंगी, तो उनकी एंट्री संभव नहीं है, क्योंकि पार्टी केसीआर और उनके परिवार से दूरी बनाए रखना चाहती है। इस बीच, जगन मोहन रेड्डी के मामले में हाल ही में एनसीएलटी हैदराबाद ने उनकी और उनकी पत्नी भारती के सरस्वती पावर एंड इंडस्ट्रीज में शेयरों को उनकी बहन शर्मिला और मां विजयम्मा के नाम पर अवैध रूप से हस्तांतरित करने को रद्द कर दिया।





