भारत वैश्विक मंच पर आतंकवाद खिलाफ अपनी बातें रख रहा है। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने मंगलवार को रूस में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में आतंकवाद दुनिया को बड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि SCO की स्थापना आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद की तीन बुराइयों से निपटने के लिए की गई थी। बीते वर्षों में ये खतरे और भी गंभीर हो गए हैं। यह आवश्यक है कि दुनिया आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के प्रति शून्य सहिष्णुता दिखाए। इसका कोई औचित्य नहीं हो सकता इसे न जरअंदाज नहीं किया जा सकता और इसे छुपाया नहीं जा सकता।
जैसा कि भारत ने प्रदर्शित किया है हमें आतंकवाद के खिलाफ अपने लोगों की रक्षा करने का अधिकार है और हम इसका प्रयोग करेंगे। निष्कर्ष के तौर पर, भारत का मानना है कि SCO को बदलते वैश्विक परिदृश्य के अनुकूल होना चाहिए। बल्कि एक विस्तृत एजेंडा विकसित करना चाहिए और अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करना चाहिए। हम इन उद्देश्यों में सकारात्मक और पूर्ण रूप से योगदान देंगे।
SCO के आधुनिकीकरण पर बोले जयशंकर
डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि हमने कुछ SCO सदस्यों को कैंसर उपचार उपकरण प्रदान किए हैं। इसी प्रकार, भारत द्वारा टीकों और आवश्यक दवाओं की आपूर्ति ने कठिन समय में उस प्रतिबद्धता को दर्शाया है। अफगानिस्तान में हाल ही में आए भूकंप के दौरान, भारतीय राहत सहायता उसी दिन प्रभावित क्षेत्रों में पहुँच गई थी। आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन के लिए हमारी पहल भी आपका ध्यान आकर्षित करती है। अब मैं SCO के आधुनिकीकरण की बात करना चाहूँगा। जैसे-जैसे संगठन निरंतर विकसित हो रहा है भारत इसके सुधार-उन्मुख एजेंडे का पुरज़ोर समर्थन करता है।
हम संगठित अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी और साइबर सुरक्षा जैसी चुनौतियों से निपटने वाले केंद्रों का स्वागत करते हैं। जैसे-जैसे संगठन अधिक विविध होता जा रहा है SCO को अधिक लचीला और अधिक अनुकूलनशील होना चाहिए। इस उद्देश्य से, अंग्रेजी को एससीओ की आधिकारिक भाषा बनाने के लंबे समय से विलंबित निर्णय को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
हम सभी मानते हैं कि SCO को समकालीन परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाना होगा। यह नई सोच और नए सहयोगों में परिलक्षित होना चाहिए। स्टार्टअप और नवाचार पर एससीओ विशेष कार्य समूह और एससीओ स्टार्टअप फोरम जैसी भारत की पहल इसके अच्छे उदाहरण हैं। इनका उद्देश्य नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देना है। विशेष रूप से युवा पीढ़ी को लक्ष्य बनाना।
व्यापार और आर्थिक मुद्दों चर्चा
भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि इस सत्र का विषय व्यापार, आर्थिक, सांस्कृतिक और मानवीय सहयोग है। मैं व्यापार और आर्थिक मुद्दों पर भारत के दृष्टिकोण का सारांश प्रस्तुत करता हूँ, जिस पर हमने पिछले सत्र में चर्चा की थी। हमारा आकलन है कि वर्तमान में वैश्विक आर्थिक स्थिति विशेष रूप से अनिश्चित और अस्थिर है। माँग पक्ष की जटिलताओं के कारण आपूर्ति पक्ष के जोखिम और भी बढ़ गए हैं। इसलिए जोखिम कम करने और विविधता लाने की तत्काल आवश्यकता है। यह हममें से अधिक से अधिक लोगों द्वारा यथासंभव व्यापक आर्थिक संबंध स्थापित करने के द्वारा ही संभव है। इसके लिए यह आवश्यक है कि यह प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी और न्यायसंगत हो। आप में से कई लोगों के साथ मुक्त व्यापार समझौते करने के भारत के प्रयास प्रासंगिक हैं। संस्कृति के संदर्भ में, एससीओ सदस्यों के साथ भारत के दीर्घकालिक ऐतिहासिक संबंध इसे विशेष रूप से प्रासंगिक बनाते हैं।





