दिल्ली विधानसभा में ‘फांसी घर’ को लेकर एक बार फिर सियासी बवाल मच गया है। जिस स्थान को आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने ब्रिटिश काल का ‘फांसी घर’ बताते हुए जनता के सामने पेश किया था, उस पर अब सवाल खड़े हो गए हैं। विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने 1911 के आधिकारिक नक्शे का हवाला देते हुए दावा किया कि वह जगह असल में “टिफिन रूम” और “लिफ्ट रूम” थी। वहीं मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस कथित “झूठ” को लेकर AAP के खिलाफ FIR दर्ज कराने की मांग की है।
ऐतिहासिक दस्तावेजों का हवाला
विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने सदन में नेशनल आर्काइव्स से प्राप्त 1911 का नक्शा प्रस्तुत किया, जिसमें फांसी घर के स्थान को “टिफिन रूम” और “लिफ्ट रूम” के रूप में दर्ज किया गया है। इसके अलावा उन्होंने IGNCA (इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र) और ICHR (भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से विशेषज्ञों की राय लेकर पुष्टि की कि यह स्थान फांसी घर नहीं था। गुप्ता ने सदन को बताया, “मेरे पास अब सारे प्रमाण हैं, जो स्पष्ट करते हैं कि जिसे फांसी घर बताया गया, वह दरअसल एक कैंटीननुमा टिफिन रूम था।” उन्होंने यह भी बताया कि 2022 में जब वे स्वयं विधायक थे, तब उन्हें भी इसे फांसी घर के रूप में बताया गया था, लेकिन बाद में प्रमाणों के आधार पर उन्हें सच्चाई का पता चला।
‘भावनाओं से खेल, पैसा बर्बाद’
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस पूरे मुद्दे को जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करार दिया। उन्होंने AAP सरकार पर आरोप लगाया कि “फांसी घर” के नाम पर न केवल जनता को गुमराह किया गया, बल्कि सरकारी धन का दुरुपयोग भी हुआ। उन्होंने कहा कि इस इमारत के सौंदर्यीकरण और उद्घाटन पर 1 करोड़ 4 लाख 49 हज़ार रुपये खर्च किए गए, जो अब संबंधित लोगों से वसूले जाने चाहिए। रेखा गुप्ता ने कहा, “यह सिर्फ एक निर्माण या गलती नहीं है, यह एक साजिश है भावनाओं को भुनाने की। झूठे बोर्ड लगाकर स्वतंत्रता सेनानियों की शहादत का अपमान किया गया है।” इसके साथ ही उन्होंने 24 अगस्त से पहले ‘फांसी घर’ के बोर्ड को हटाने की मांग की क्योंकि उसी दिन दिल्ली में “ऑल इंडिया स्पीकर कॉन्फ्रेंस” आयोजित की जाएगी।
मार्शल आउट तक पहुंचा मामला
विधानसभा में बहस तब और तीखी हो गई जब बीजेपी के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को “सबसे बड़ा मूर्ख” बताते हुए तंज कसा। उन्होंने कहा, “ढाई फीट की जगह को फांसी घर बता दिया गया, अब कोई वहां जाकर लटक कर दिखाए।” इस बयान के बाद AAP विधायकों ने जोरदार विरोध किया। नेता प्रतिपक्ष आतिशी, विधायक जरनैल सिंह, प्रेम चौहान और कुलदीप कुमार को सदन से मार्शल आउट कर दिया गया। इस पूरी घटना ने राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है।
AAP का बचाव
AAP विधायक संजीव झा ने बचाव में कहा कि इतिहास हमेशा दस्तावेजों में ही नहीं होता। उन्होंने तर्क दिया कि जिस कमरे को फांसी घर बताया गया, वहां से रस्सी, कांच के गोले, कंचे, पुराने जूते जैसी चीजें बरामद हुई थीं। संजीव झा ने दावा किया कि अंग्रेजों की फांसी प्रक्रिया में यह देखा जाता था कि फांसी के बाद मृतक जीवित है या नहीं, इसके लिए वे कंचे और कांच से प्रहार करते थे। उन्होंने हरबंश राज की भगत सिंह पर लिखी किताब का हवाला दिया और कहा, “अगर यह झूठ होता तो इतने लोग श्रद्धा से वहां क्यों जाते?” संजीव झा के अनुसार, AAP ने कभी भी गलत मंशा से यह काम नहीं किया बल्कि यह जनता की भावना से जुड़ा मुद्दा था। उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए लेकिन केवल राजनीतिक दुर्भावना से नहीं।





