भारत का हर एक शहर अलग-अलग महत्व के लिए जाना जाता है। पूरब से लेकर पश्चिम तक… उत्तर से लेकर दक्षिण तक… हर कोने में स्थित शहर देश के विकास से लेकर लोगों के लिए अपनी अलग भूमिका निभाता है। कुछ शहर सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है, तो कुछ शहर अपने आप में इतिहास समेटे हुए हैं। कुछ शहर उद्योग के लिए जाना जाता है, तो कुछ शहर पर्यटकों के बीच फेमस है। कुछ शहर छात्रों के लिए पढ़ाई का गढ़ है, तो कुछ शहर महंगाई के लिए भी फेमस है।
आज हम आपको भारत के उसे शहर से रूबरू करवाएंगे, जो कि अपने आप में इकलौता शहर माना गया है, जहां एक भी ट्रैफिक लाइट नहीं है। अब आप सोच रहे होंगे कि बिना ट्रैफिक लाइट के जाम की स्थिति में क्या हालत होती होगी।

सिग्नल फ्री सिस्टम (Signal Free System)
तो हम आपको बता दें कि इससे बचाव के लिए खास रूट मैप तैयार किए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में कुल 4000 से भी अधिक शहर है। जिनमें से 300 शहर में करीब एक लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। कुछ शहरों को स्मार्ट सिटी और मैग्नेट सिटी के नाम से जाना जाता है। इनमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, पुणे, सूरत,, कानपुर, जयपुर, लखनऊ, नागपुर, बेंगलुरु, बिहार, वाराणसी, प्रयागराज समेत तमाम छोटे बड़े शहर हैं, जहां कि अपनी अलग-अलग खासियत है, लेकिन भारत में एक शहर ऐसा भी है, जहां एक भी ट्रैफिक लाइट नहीं है।
कोटा (Kota)
दरअसल, इस शहर का नाम कोटा है, जो की पूरे विश्व में दूसरा शहर है, जो सिग्नल फ्री है। यह राजस्थान में स्थित एक शहर है। वहीं, विश्व का पहला शहर भूटान है, जहां सबसे पहले सिग्नल फ्री सिस्टम लागू हुआ था। कुछ साल पहले कोटा शहर में काफी ज्यादा जाम लगता था, जिससे छुटकारा पाने के लिए कोटा यूआईटी ने छोटे-छोटे डायवर्सन बनाए और सड़कों को चौड़ा कर दिया। साथ ही इस तरह के रूट तैयार किए गए, जहां ट्रैफिक लाइट की जरूरत ही ना पड़े।
कोचिंग सिटी (Coaching City)
कोटा देशभर में फेमस है, क्योंकि यहां बहुत सारे कोचिंग है। इस वजह से इस कोचिंग सिटी के नाम से भी जाना जाता है। यह स्टूडेंट का हब रहा है। सालों भर यहां लाखों की संख्या में छात्र पढ़ने के लिए पहुंचते हैं। यहां इंजीनियरिंग से लेकर डॉक्टरी की पढ़ाई कराई जाती है, जहां के बच्चे भारत के टॉप संस्थानों में दाखिला पाते हैं।