भारत का हर एक शहर अलग-अलग खासियत के लिए प्रसिद्ध है। कुछ शहरों को विश्व भर में जाने जाते हैं, तो कुछ शहर ऐसे भी हैं जो गुमनाम है। कुछ शहर में धार्मिक पर्यटन स्थल उनकी शोभा बढ़ाते हैं, तो कुछ शहर ऐसे भी है जहां खाने पीने की चीज लोगों को खींच लाती है। कोई शहर ऐसा है, जहां समुद्री लहरें लोगों को मानसिक शांति पहुंचती है, तो कुछ शहर पहाड़ की वादियों से घिरे हुए हैं। इन शहरों को देखने के लिए दूर-दराज से लोग पहुंचते हैं। यहां का रहन-सहन, खान-पान, सुंदरता, आकर्षक शैली, संस्कृति, परंपरा लोगों मन मोह लेती है।
पिछले आर्टिकल्स में हम आपको भारत के विभिन्न शहरों से रूबरू करवा चुके हैं, जो अपनी अलग-अलग खासियत के लिए मशहूर है। आज हम आपको उसे शहर के बारे में बताएंगे, जिसका 1 बार नहीं… 2 बार नहीं… बल्कि 20 बार नाम बदल चुका है।

20 बार बदला नाम
जी हां! यह सुनकर आपको आश्चर्य हो रहा होगा, लेकिन ऐसे प्रश्न अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछ लिए जाते हैं। जिनका जवाब पता होना सामान्य ज्ञान के लिहाज से भी जरूरी है। किसी भी जगह को आईडेंटिफाई करने के लिए उसका नामकरण किया जाता है, ताकि लोग उस नाम से जगह को पहचान जाए। ऐसे में भारत के हर एक शहर का नामकरण किया गया है। हालांकि, समय और लोगों की मांग को देखते हुए इसमें कई बार बदलाव भी किए जाते हैं। फिलहाल, हम आपको उस शहर के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे, जिसका 20 बार नाम बदल गया है। यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है।
कानपुर
दरअसल, इस शहर का नाम वर्तमान में कानपुर है। ब्रिटिश शासन काल के दौरान हॉब्सन जॉनसन ने इसका नाम बदलकर कानपुर रख दिया था। पहले इसे कान्हपुर के नाम से जाना जाता था। इस नाम का उच्चारण करने में बड़ी कठिनाई हो रही थी, जिस कारण उन्होंने इसका नाम बदलकर कानपुर रख दिया गया। इतिहासकारों की मानें तो इन वर्षों में इस शहर को कंपू, कॉनपूर, करनपुर, कन्हापुर, कन्हैयापुर जैसे नाम से बुलाया जाता था।करीब 20 बार का नाम बदला जा चुका है। वर्तमान में यह कानपुर के नाम से प्रसिद्ध है।
यूपी का प्राचीन शहर
उत्तर प्रदेश के पश्चिम में बसे कानपुर को प्रदेश की औद्योगिक राजधानी के नाम से भी जाना जाता है। यह यूपी का पुराना शहर है, जो चमड़े के उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। साल 1857 की क्रांति से लेकर आजादी तक शहर में रहने वाले लोगों ने कई उतार-चढ़ाव का सामना किया। शहर के कई मोहल्लों का नाम अंग्रेजों के नाम पर पड़ा हुआ है। लगभग 200 से अधिक साल पुराने इस शहर की स्थापना 1803 को ईस्ट इंडिया कंपनी ने की थी। इतिहास में इस शहर की स्थापना राजा कान्हा देव द्वारा किए जाने का उल्लेख मिलता है। यहां एक से बढ़कर स्कूल, कॉलेज, कंपनी इत्यादि है। लोग यहां कम सैलरी में भी अपना भरण पोषण अच्छी तरह से कर सकते हैं। इसके लिए की बस मैनेजमेंट सही होनी चाहिए।
जरूर जाएं
यदि आपको कभी इस शहर को एक्सप्लोर करने का मौका मिले, तो आप यहां जरूर जाएं। इस जगह से करीब 22 किलोमीटर दूर बिठूर स्थित है, जो गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है। हिंदू शास्त्रों के मुताबिक, भगवान ब्रह्मा ने यहीं पर ब्रह्मांड की रचना की थी। इसके अलावा, त्रेता युग में माता सीता ने बिठूर में ही लव और कुश को जन्म दिया था। वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी का केंद्र बिंदु भी बिठूर ही है। ध्रुव ने भी यहीं पर तपस्या करके भगवान विष्णु को प्रसन्न किया था। यहां आपको जेड स्क्वायर मॉल, रेवमोती मॉल, इस्कॉन टेंपल, मोतीझील पार्क सहित में बहुत सारी जगह घूमने को मिलेंगे।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)