भारतीय रेलवे (Indian Railways) का इतिहास जितना अधिक रोचक है, उतना ही मजेदार भी है। इसमें सफर करने का आनंद ही कुछ और है, जिसे सबसे सस्ता व आसान माना जाता है। यह दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क को में से एक है। जिसका मकड़ाजाल कई हजार किलोमीटर तक फैला हुआ है। यात्री अपने गंतव्य तक पहुंचाने के लिए सातों दिन किसी भी समय पर ट्रेन में बैठ सकते हैं। रोजाना लगभग 1000 से भी अधिक ट्रेनें चलाई जाती है। लॉन्ग रूट की ट्रेनें कई राज्यों से होकर गुजरती है, तो वहीं शॉर्ट रूट की ट्रेन कुछ घंटे का ही सफर तय करती है। यहां मेल, एक्सप्रेस, दुरंतो, शताब्दी, राजधानी, वंदे भारत सहित लोकल ट्रेन चलाई जाती है।
वहीं, यात्रियों की सुविधा को बेहतर बनाने के लिए भारतीय रेलवे द्वारा आए दिन नियमों में बदलाव किया जाता है। पिछले दिनों की शुरुआत से लेकर अभी तक स्टेशन से लेकर रेलवे ट्रैक, ट्रेन, बुकिंग सिस्टम, आदि में काफी ज्यादा बदलाव हो चुका है।

दो देशों का रेलवे स्टेशन
भारतीय रेलवे की कहानी जितनी मजेदार है, उतनी ही इनके फैक्ट्स भी इंटरेस्टिंग है। आए-दिन प्रतियोगी परीक्षाओं में इंडियन रेलवे से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसका जवाब पता होना छात्रों के लिए बेहद जरूरी है। इसके अलावा, सामान्य ज्ञान के लिहाज से भी रेलवे से जुड़े कुछ फैक्ट्स का आम लोगों को भी जानकारी होना जरूरी है। इसलिए आज हम आपको उस जिला के बारे में बताएंगे, जहां दो देशों का रेलवे स्टेशन है। यहां दोनों देशों के नागरिक उतरते हैं और यात्री दोनों देशों में जाने के लिए यहां से ट्रेन पकड़ते हैं।
मधुबनी जिला (Madhubani District)
दरअसल, भारत में स्थित इस एकमात्र जिले का नाम मधुबनी है, जो कि बिहार राज्य में स्थित है। यहां भारतीय रेलवे के साथ-साथ नेपाल का भी रेलवे स्टेशन है। मधुबनी जिले के जयनगर में यह दोनों रेलवे स्टेशन थोड़ी-थोड़ी दूरी पर स्थित है। इसे कनेक्ट करने के लिए एक ओवर ब्रिज भी बनाया गया है। इसके अलावा, यह भारत का आखिरी रेलवे स्टेशन भी है, जो कि उत्तर रेलवे जोन में आता है। यहां भारत और नेपाल की ट्रेन एक साथ आती और जाती हैं। हालांकि, नेपाली रेलवे स्टेशन तक जाने के लिए यात्रियों को सामान की जांच करवानी होती है। इसके बाद ही वह ट्रेन में सफर कर सकते हैं।
कोंकण रेलवे करता है देखरेख
बता दें कि नेपाल में रेलवे स्टेशन का निर्माण करवाने में भारत सरकार की अहम भूमिका रही है। इस प्रोजेक्ट को कोंकण रेलवे द्वारा संभाला जाता है। यहां पर हर दिन 2 ट्रेन नेपाल से आई और जाती हैं। इस तरह यह जिला भारत का इकलौता जिला बन चुका है, जहां दो देशों के रेलवे स्टेशन मौजूद है। यदि आपको कभी मौका मिले तो जरूर इस जयनगर में स्थित इन दोनों स्टेशनों से अपनी यात्रा करें। जिसका अनुभव अलग और अनोखा होगा। यहां का अनोखा कल्चर आपको बहुत ही अधिक पसंद आएगा। यहां की पेंटिंग पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यहां का रहन-सहन, खान-पान, बोलचाल इसे बाकि जिलों से बहुत अलग बनाता है। इस जिले से एक-से-बढ़कर-एक लोकगायक निकले हैं, जिन्होंने शानदार और यादगार गीत गाए हैं। जिनका इस्तेमाल आज भी शादियों में किया जाता है।