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Mon, Dec 15, 2025

भारत का इकलौता किला, जहां नहीं हुआ कभी युद्ध, आज भी छिपा है खजाना!

Written by:Sanjucta Pandit
भारत में कुछ ऐसे शहर भी है, जहां एक से बढ़कर एक किले मौजूद है, जो कि ऐतिहासिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यहां का इतिहास बहुत ही ज्यादा रोमांचक है। इन स्थानों पर रोजगार के भी अवसर मिलते हैं, क्योंकि यहां पर्यटक भारी मात्रा में पहुंचते हैं।
भारत का इकलौता किला, जहां नहीं हुआ कभी युद्ध, आज भी छिपा है खजाना!

भारत में एक से बढ़कर एक घूमने वाले स्थान है। टूरिज्म से भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। यहां का हर एक शहर अलग-अलग महत्व के लिए जाना जाता है, जिसका अपना अलग-अलग इतिहास होता है। कुछ शहर धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है, तो कुछ शहर शिक्षा का गढ़ माना जाता है। कुछ शहर पहाड़ की वादियों से घिरा हुआ है, तो खुद शहर समुद्री तट के किनारे बसा हुआ है।

भारत में कुछ ऐसे शहर भी है, जहां एक से बढ़कर एक किले मौजूद है, जो कि ऐतिहासिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यहां का इतिहास बहुत ही ज्यादा रोमांचक है। इन स्थानों पर रोजगार के भी अवसर मिलते हैं, क्योंकि यहां पर्यटक भारी मात्रा में पहुंचते हैं।

बाला किला

आज हम आपको भारत में स्थित कुंवारा किला के बारे में बताएंगे, जहां पर जहांगीर का खजाना गड़ा हुआ है। दरअसल, राजस्थान को किलों का गढ़ माना जाता है। यहां बहुत सारे किले हैं। जिनका अपना अलग महत्व और इतिहास है। इस राज्य को सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के रुप में भी जाना जाता है। यहां का खानपान, पहनावा-उढ़ावा, आर्कषक इमारतों की नक्काशी लोगों को मन मोह लेती है।

अलवर में मौजूद

वहीं, आज हम जिस कुंवारा किला की बात कर रहे हैं, वह अलवर शहर के अरावली की पहाड़ियों के बीच मौजूद है। जिसका नाम बाला किला है। यह कुंवारा किला के नाम से भी जाना जाता है। इस किले में आज भी मुगलों का खजाना छिपा हुआ है। लोग इसे बाला किला नहीं, बल्कि कुंवारा किला के नाम से ही पहचानते हैं, क्योंकि यहां कभी भी कोई युद्ध नहीं लड़ा गया। इसलिए लोग इसे कुंवारा किला कहते हैं। यहां कई सारे मंदिर और महल मौजूद है। जिसमें कभी राजा महाराजा रहा करते थे।

इतिहासकारों की मानें तो जहांगीर ने यहां पर अपना कुछ समय गुजारा था। उनका कहना है कि यहां पर जहांगीर ने अपना खजाना छुपाया था। यह स्थान सोना, चांदी और कीमती रत्नों से भरा हुआ था। हालांकि, इसका कोई भी सबूत नहीं मिला है। वहीं, 15वीं शताब्दी में हसन खान मेवाती ने इसका निर्माण शुरू किया था। इसके बाद कई शासक आते रहे और यह किला उनके अधीन रहा।

सालों भर पहुंचते हैं पर्यटक

बता दें कि इस किले में पूरे 6 प्रवेश द्वार हैं। इन्हें जय पोल, सूरज पोल, चांद पोल, लक्ष्मण पोल, अंधेरी पोल और कृष्ण पोल के नाम से जाना जाता है। दीवारों पर 446 छेद हैं, जो बंदूक रखने के लिए इस्तेमाल किए जाते थे। यहां से कभी कोई युद्ध नहीं लड़ा गया, लेकिन दुश्मनों को मात देने के लिए सभी तैयारियां की गई थी। यहां आपको म्यूजियम में बेशकीमती हथियार देखने को मिलेंगे। इस अद्भुत किले को देखने को सालों भर शैलानी पहुंचते हैं।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)