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Sun, Dec 21, 2025

भारत का एकमात्र गांव, जहां नहीं खाई जाती मछली! ढोल-नगाड़ों के साथ होती है पूजा

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
भारतीय व्यंजन का गुणगान पूरी दुनिया भर में है। खाने पीने के शौकीन अक्सर इन शहरों में केवल पारंपरिक भोजन को चखने के लिए आते हैं। इन दिनों लोगों के बीच गांव एक्सप्लोर करने का क्रेज बढ़ रहा है।
भारत का एकमात्र गांव, जहां नहीं खाई जाती मछली! ढोल-नगाड़ों के साथ होती है पूजा

भारत का हर एक शहर अलग-अलग खासियत के लिए पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहां का रहन-सहन, खान-पान, पहनावा-उढ़ावा सब कुछ इसे बाकी राज्यों से अलग बनाता है। लोग यहां घूमने के साथ-साथ इतिहास को करीब से जानने के लिए जाते हैं। इसके अलावा, उस शहर के प्रसिद्ध व्यंजन को भी सकते हैं। भारतीय व्यंजन का गुणगान पूरी दुनिया भर में है। खाने पीने के शौकीन अक्सर इन शहरों में केवल पारंपरिक भोजन को चखने के लिए आते हैं। इन दिनों लोगों के बीच गांव एक्सप्लोर करने का क्रेज बढ़ रहा है।

यहां शाकाहारी से लेकर मांसाहारी तक हर प्रकार के व्यंजन खाए जाते हैं। पिछले कई आर्टिकल में हम आपको शुद्ध शाकाहारी शहर के बारे में भी बता चुके हैं, लेकिन आज हम आपको भारत के एक ऐसे गांव से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जहां कोई भी मछली नहीं खाता, बल्कि इसकी पूजा की जाती है।

अनोखी परंपरा

दरअसल, यह गांव हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है। जिसका नाम जौगल खड्ड है, जहां एक भी लोग मछली नहीं खाते हैं। यहां एक पवित्र मछियाल झील भी है, जिसमें प्राचीन समय से ही भारी संख्या में मछलियां रहती हैं। यहां के लोग मछली खाना बेहद अशुभ मानते हैं। केवल इतना ही नहीं वह मछलियों की पूजा भी करते हैं।

डालते हैं सोने की तार

ग्रामीणों के अनुसार, मछियाल झील में लोग हर मंगलवार और शनिवार को आटा डालकर अपने ग्रहों को शांत करते हैं। साथ ही मनोकामनाएं मांगते हैं। जिनकी मान्यताएं पूरी हो जाती है, वह मछली को सोने की तार डालते हैं। यहां लोग ढोल नगाड़ों के साथ स्थित मछिंद्र महादेव के मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं। मंदिर के आसपास मां शेरावाली, भगवान श्री राम और हनुमान जी की मूर्तियां स्थापित है, जो भक्तों को आकर्षित करता है।

लोगों को है आस्था

बता दें कि इस गांव में कोई भी परिवार मछली का सेवन नहीं करता। यहां मछली खाने पर बैन है। यदि कोई इसका गलती से सेवन कर भी लें, तो उसे बुरे परिणाम भुगतने पड़ते हैं। यहां के लोगों में मछिंद्र महादेव के प्रति आस्था है। केवल स्थानीय ही नहीं, बल्कि बाहरी लोग भी यहां मनोकामनाएं पुरी होने पर ढोल नगाड़ों के साथ दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। यहां केंद्र और राज्य सरकार द्वारा टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा रहा है।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)