भारत में मंदिरों की कोई कमी नहीं है। यहां उत्तर से लेकर दक्षिण तक… पूर्व से लेकर पश्चिम तक… हर एक गली-मोहल्ले में आपको कोई ना कोई मंदिर जरूर मिलेगा, जहां अलग-अलग भगवानों की पूजा की जाती है। इनमें से कुछ मंदिर विश्व प्रसिद्ध हैं, तो कुछ मंदिर स्थानीय स्तर पर अपने महत्व के लिए जाने जाते हैं। इन सभी के अलग-अलग रहस्य और मान्यताएं हैं, जिस कारण श्रद्धालु यहां मनोकामनाएं पूरी हो जाए इसके लिए जाते हैं।
आज हम आपको भारत के उन मंदिरों के बारे में बताएंगे, जहां प्रसाद के तौर पर मिठाई या फल नहीं, बल्कि यह सारी चीज़ें भक्तों के बीच बांटी जाती हैं और भगवान को चढ़ाई जाती हैं।
प्रसाद की अनोखी परंपरा
दरअसल, सावन का महीना शुरू हो चुका है, जो कि हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना जाता है। इस महीने में सनातन धर्म का पालन करने वाले लोग मांस-मदिरा का सेवन नहीं करते हैं। लेकिन आज हम आपको भारत के पांच ऐसे प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताएंगे, जहां भगवान को मांस, मछली और शराब भोग के तौर पर लगाया जाता है। केवल इतना ही नहीं, यह प्रसाद भक्तों के बीच भी बांटा जाता है। इन सभी मंदिरों और यहां मिलने वाले प्रसाद की परंपराएं काफी अनोखी हैं।
जानें इन 5 मंदिरों के नाम
- इस लिस्ट में पहला नाम कामाख्या मंदिर का आता है, जो कि असम का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह 51 शक्तिपीठों में से एक माना गया है। नीलांचल पहाड़ियों में स्थित, प्राकृतिक सुंदरता से घिरा यह स्थान दुनिया भर में तंत्र विद्या के केंद्र के रूप में भी प्रसिद्ध है। आपको बता दें कि यहां पर माता को प्रसाद के तौर पर मांस और मछली अर्पित किए जाते हैं, और यही प्रसाद फिर श्रद्धालुओं के बीच बांटा जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार, ऐसा करने से माता अतिशय रूप से प्रसन्न होती हैं।
- पश्चिम बंगाल के वीरभूमि में स्थित तारापीठ मंदिर भी काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। यहां भक्त माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए मांस की बलि चढ़ाते हैं। इसके साथ ही, शराब को भी भोग के रूप में चढ़ाया जाता है और यही प्रसाद भक्तों के बीच बांटा जाता है। यहां सालों भर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
- इस लिस्ट में अगले मंदिर का नाम काल भैरव है, जहां प्रसाद के तौर पर भगवान को शराब चढ़ाई जाती है। यह अनोखी परंपरा सदियों से चली आ रही है। वहीं, यहां आने वाले श्रद्धालुओं को भोग के तौर पर शराब ही दिया जाता है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, काल भैरव को तामसिक प्रवृत्ति का देवता माना गया है। गुजरात सहित मध्य प्रदेश के कुछ काल भैरव मंदिरों में शराब ही भोग के रूप में चढ़ाई जाती है।
- इसके अलावा, पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में स्थित कालीघाट मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। यहां दुर्गा पूजा और काली पूजा के दौरान लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ती है। यह देश के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, जिसका इतिहास करीब 200 साल पुराना है। यहां मां काली को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त बकरे की बलि देते हैं, जिसे बाद में भक्तों के बीच बांटा जाता है। यहां आने वाले लोगों की सभी मान्यताएं पूरी होती हैं, ऐसा स्थानीय लोगों का मानना है।
- वहीं, तमिलनाडु का मुनियांदी स्वामी मंदिर भी इस लिस्ट में शामिल है, जहां भगवान को मांसाहारी प्रसाद चढ़ाया जाता है। बता दें कि यहां भगवान शिव के अवतार मुनियांदी की पूजा अर्चना की जाती है और प्रसाद के तौर पर चिकन और मटन बिरयानी चढ़ाई जाती है। यही प्रसाद फिर श्रद्धालुओं के बीच बांट दिया जाता है, जिस कारण यह मंदिर दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)





