भारत में एक से बढ़कर एक जिला है। इन सब की अलग-अलग पहचान और खासियत है। उत्तर से लेकर दक्षिण तक… पूर्व से लेकर पश्चिम तक… हर एक राज्य में क्षेत्र को जिलों के हिसाब से बनता गया है। यहां रहने वाले लोगों को सरकार द्वारा उचित सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाती है। हर जिले की अपनी अलग पहचान और इतिहास है। कुछ जिला धार्मिक स्थल के लिए प्रसिद्ध है, तो कुछ जिला फैशन के लिए जाना जाता है। कुछ जिला झीलों के लिए प्रसिद्ध है, तो कुछ जिला शिक्षा का गढ़ माना जाता है।
ऐसे में आज हम आपको यूपी का सबसे छोटा जिला से रूबरू करवाएंगे, जहां की विविधता उस जिले की पहचान है। वैसे तो यूपी टूरिज्म के लिहाज से भी समृद्ध राज्य है। यहां सालों भर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है।

यूपी का सबसे छोटा जिला
सबसे पहले बात करें उत्तर प्रदेश की, तो यह सांस्कृतिक विरासत वाला राज्य है। यहां कुल 75 जिले है। यह भारत का सबसे अधिक जिले वाला राज्य भी है। यहां के हर जिले की अपनी अलग-अलग खासियत है। इस राज्य में एक लाख से भी अधिक गांव है, जहां के लोग कृषि और अन्य संसाधनों पर निर्भर करते हैं। 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, यूपी की कुल जनसंख्या 16.98 लाख से भी अधिक है।
हापुड़ जिला (Hapur District)
उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा जिला हापुड़ है, जो कि कुल 660 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। सितंबर 2011 में इसे गाजियाबाद से अलग पंचशील नगर के रूप में पहचान मिली थी, लेकिन साल 2012 में इसका नाम बदलकर हापुड़ कर दिया गया, जो कि गंगा नदी के किनारे बसा है। यहां मौजूद गढ़मुक्तेश्वर से गंगा नदी बहती है। इस स्थान को लोग छोटा हरिद्वार के नाम से भी जानते हैं। अमावस्या, पूर्णिमा सहित अन्य त्योहारों पर यहां लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है। वह इस गंगा नदी में स्नान करके पूजा पाठ करते हैं।
इतिहास
हापुड़ जिले के इतिहास की बात करें, तो इसकी स्थापना राजा हरि सिंह ने की थी। जिनके नाम पर इसका नाम हरिपुरा रखा गया था। वर्तमान में यह जिला स्टेनलेस स्टील के पाइप एवं ट्यूब बनाने के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा, यहां पावर लूम द्वारा बनी हुई चादर भी प्रसिद्ध है, जो कि देशभर में खरीदी जाती है। यहां तरह-तरह की डिजाइनदार चादरें बनाई जाती हैं।