भारत का हर एक शहर गांव और जिला अलग-अलग महत्व के लिए जाना जाता है। यहां की संस्कृति परंपरा खानपान इन्हें बाकी सभी राज्यों से अलग बनाती है। सभी जिले की अपनी अलग विशेषता है। जिनके कुछ उपनाम भी है। देश में टेक्नोलॉजी से लेकर पढ़ाई लिखाई के क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है। लोग अपने बच्चों को अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़ते हैं, ताकि उनका भविष्य बेहतरीन हो सके। वहीं, स्कूलों में भी बच्चों को पढ़ाने के लिए हाई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है।
भारत में शिक्षा स्तर की बात करें, तो सबसे शिक्षित राज्य के रूप में केरल का नाम आता है। हालांकि, हर राज्य में साक्षरता दर अलग-अलग है, लेकिन आज हम आपको भारत का सबसे कम पढ़ा लिखा जिला के बारे में बताएंगे।

सबसे कम पढ़ा-लिखा जिला
इस तरह के सवाल अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं में भी पूछे जाते हैं। वहीं, सामान्य ज्ञान के लिहाज से भी इसका जवाब आपको पता होना चाहिए। पिछले आर्टिकल में हमने आपको बताया था कि मध्य प्रदेश का सबसे पढ़ा-लिखा जिला जबलपुर है, जो साक्षरता के साथ-साथ टूरिज्म के लिए भी प्रसिद्ध है, लेकिन आज हम आपको देश का सबसे कम पढ़ा लिखा जिला के बारे में बताने जा रहे हैं।
अलीराजपुर (Alirajpur)
दरअसल, इस जिला का नाम अलीराजपुर है, जो कि मध्य प्रदेश में स्थित है। इस राज्य को भारत का दिल कहा जाता है। यहां की संस्कृति, इतिहास, अनूठी परंपरा और ऐतिहासिक विरासत इसे बाकी सभी राज्यों से अलग बनाती है। प्राचीन सभ्यताओं की बात करें, तो इस प्रदेश का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। प्राचीन काल में मौर्य, गुप्त, परमार और होल्कर राजवंशों ने यहां शासन किया है। इसके अलावा, मराठा, मुगल और ब्रिटिश भी यहां पर हुकूमत कर चुके हैं। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य भी है।
साक्षरता दर
यहां शिक्षा का स्तर भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है, लेकिन साल 2011 के सेंसस के मुताबिक, अलीराजपुर की औसत साक्षरता दर 36.10% है। यहां पुरुषों की साक्षरता दर 51.92% है, तो वहीं महिलाओं की साक्षरता दर 35.54% है। छत्तीसगढ़ का बीजापुर जिला भारत का दूसरा सबसे कम शिक्षित जिला है, जहां की साक्षरता दर 40.86% है, जबकि तीसरे नंबर पर दंतेवाड़ा है, जहां की साक्षरता दर 42.12% है। इस तरह अलीराजपुर केवल एमपी ही नहीं, बल्कि पूरे भारत का सबसे कम पढ़ा-लिखा जिला है।
ये था पुराना नाम
अलीराजपुर जिले की बात की जाए, तो यह मोतियों के पारंपरिक गहनों के लिए जाना जाता है। जिसका पुराना नाम आलीराजपुर था। इसे आलिया का राज्य भी कहा जाता था। इसका इतिहास प्राचीन होने के साथ-साथ आध्यात्मिक भी है। यहां आपको एक-से-बढ़कर-एक मंदिर मिलेंगे, जहां स्थानीय लोगों की भीड़-भाड़ देखने को मिलती है।