Poet Pradeep’s birth anniversary today : आज जाने माने कवि और गीतकार प्रदीप की जयंती है। उनका जन्म 6 फरवरी 1915 को उज्जैन में हुआ था। ओजस्वी लेखनी के धनी प्रदीप का देशभक्ति गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंख में भर लो पानी’ एक कालजयी रचना है। उनके लिखे गीत आज भी बेहद लोकप्रिय हैं। वे एक गांधीवादी विचार के व्यक्ति थे और आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की, हम लाये हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के, दे दी हमें आज़ादी, दूर हटो ऐ दुनिया वालों, चल चल रे नौजवान जैसे लोकप्रिय गीतों के रचयिता हैं। उनके योगदान के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। सीएम मोहन यादव ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी है। उनकी जयंती पर हम पढ़ेंगे उनकी लिखी कुछ मशहूर रचनाएं।
कभी कभी खुद से बात करो
कभी कभी खुद से बात करो, कभी खुद से बोलो।
अपनी नज़र में तुम क्या हो? ये मन की तराजू पर तोलो।
कभी कभी खुद से बात करो।
कभी कभी खुद से बोलो।
हरदम तुम बैठे ना रहो -शौहरत की इमारत में।
कभी कभी खुद को पेश करो आत्मा की अदालत में।
केवल अपनी कीर्ति न देखो- कमियों को भी टटोलो।
कभी कभी खुद से बात करो।
कभी कभी खुद से बोलो।
दुनिया कहती कीर्ति कमा के, तुम हो बड़े सुखी।
मगर तुम्हारे आडम्बर से, हम हैं बड़े दु:खी।
कभी तो अपने श्रव्य-भवन की बंद खिड़कियाँ खोलो।
कभी कभी खुद से बात करो।
कभी कभी खुद से बोलो।
ओ नभ में उड़ने वालो, जरा धरती पर आओ।
अपनी पुरानी सरल-सादगी फिर से अपनाओ।
तुम संतो की तपोभूमि पर मत अभिमान में डालो।
अपनी नजर में तुम क्या हो? ये मन की तराजू में तोलो।
कभी कभी खुद से बात करो।
कभी कभी खुद से बोलो।
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गा रही है ज़िंदगी हर तरफ़
गा रही है ज़िंदगी हर तरफ़ बहार में किस लिये
चार चांद लग गये हैं तेरे मेरे प्यार में इस लिये)
आ गया आँचल किसी का आज मेरे हाथ में
है चकोरी आज अपने चँद्रमा के साथ में
चल पडी दो किश्तीयाँ आज एक धार में किस लिये
चार चांद लग गये हैं तेरे मेरे प्यार में इस लिये
गा रही है ज़िंदगी हर तरफ़ बहार में किस लिये
चार चांद लग गये हैं तेरे मेरे प्यार में इस लिये
छू रही तन मन को मेरे प्रीत की पुर्वाईयाँ
दूर की अम्ब्राईओं में गुँजती शेहनाईयाँ
सौ गुना निखार है आज तो सिंगार में किस लिये
चार चांद लग गये हैं तेरे मेरे प्यार में इस लिये
गा रही है ज़िंदगी हर तरफ़ बहार में किस लिये
चार चांद लग गये हैं तेरे मेरे प्यार में इस लिये
ज़िंदगी भर के लिये तू बाँह मेरी थाम ले
जब तलक ये साँस है हर साँस तेरा नाम ले
इक नयी दुनिया खडी अपने इंतेज़ार में किस लिये
चार चांद लग गये हैं तेरे मेरे प्यार में इस लिये
गा रही है ज़िंदगी हर तरफ़ बहार में किस लिये
चार चांद लग गये हैं तेरे मेरे प्यार में इस लिये
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मेरे जीवन के पथ पर
मेरे जीवन के पथ पर छाई ये कौन
पूनम की चाँदनी
कौन
पूनम की चाँदनी
मेरे जीवन के पथ पर छाई ये कौन
पूनम की चाँदनी
अरे
मधुर-मधुर मन भाई
ये कौन
नहीं
मधुर-मधुर मन भाई
पूनम की चाँदनी
मेरे जीवन के पथ पर छाई ये कौन
पूनम की चाँदनी
धीमे-धीमे मेरी कुटी में
इठलाती हुई बलखाती हुई
चुपचाप कहीं से आई
ये कौन
चुपचाप कहीं से आई
पूनम की चाँदनी
मेरे जीवन के पथ पर छाई ये कौन
पूनम की चाँदनी
कौन परी ये स्वर्ग से उतरी
बड़ी लाज भरी मेरे आस-पास
खेलन लागी रस-रंग रास
पल-पल ले कर अंगराई
ये कौन
पल-पल ले कर अंगराई
पूनम की चाँदनी
मेरे जीवन के पथ पर छाई ये कौन
पूनम की चाँदनी
तुम कौन
पूनम की चाँदनी
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ऊपर गगन विशाल
ऊपर गगन विशाल नीचे गहरा पाताल
बीच में धरती वाह मेरे मालिक तू ने किया कमाल
अरे वाह मेरे मालिक क्या तेरी लीला
एक फूँक से रच दिया तू ने
सूरज अगन का गोला
एक फूँक से रचा चन्द्रमा
लाखों सितारों का टोला
तू ने रच दिया पवन झखोला
ये पानी और ये शोला
ये बादल का उड़न खटोला
जिसे देख हमारा मन डोला
सोच सोच हम करें अचम्भा
नज़र न आता एक भी खम्बा
फिर भी ये आकाश खड़ा है
हुए करोड़ो साल मालिक
तू ने किया कमाल
तू ने रचा एक अद्भुत् प्राणी
जिसका नाम इनसान
भरा हुआ तूफ़ान
इस जग में इनसान के दिल को
कौन सका पहचान
इस में ही शैतान बसा है
इस में ही भगवान
बड़ा ग़ज़ब का है ये खिलौना
इसका नहीं मिसाल
मालिक तू ने किया कमाल
ऊपर गगन विशाल