तृणमूल कांग्रेस (TMC) और समाजवादी पार्टी (SP) के बाद अब आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी तीन विधेयकों की जांच के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में शामिल न होने का ऐलान किया है। इन विधेयकों का उद्देश्य गंभीर आरोपों में 30 दिनों तक गिरफ्तारी की स्थिति में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को हटाने का कानूनी ढांचा तैयार करना है। आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि यह विधेयक विपक्षी नेताओं को झूठे मामलों में फंसाकर सरकारें गिराने का उद्देश्य रखता है।
समिति में कोई सदस्य नामित नहीं
टीएमसी के राज्यसभा नेता डेरेक ओ ब्रायन ने JPC को मूल्यहीन करार देते हुए कहा कि उनकी पार्टी इस समिति में कोई सदस्य नामित नहीं करेगी। उन्होंने दावा किया कि संसद के दोनों सदनों में सत्तारूढ़ दल की संख्याबल के कारण समिति पक्षपातपूर्ण है। समाजवादी पार्टी भी JPC में शामिल होने की संभावना नहीं रखती, जैसा कि पार्टी के एक सूत्र ने बताया।
कौन से हैं तीन विधेयक
20 अगस्त को लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गए इन विधेयकों (यूनियन टेरिटरी संशोधन विधेयक 2025, संविधान 130वां संशोधन विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक 2025) पर विपक्ष ने तीखा विरोध जताया। सदन में हंगामा हुआ, विधेयकों की प्रतियां फाड़ी गईं और सत्तारूढ़ व विपक्षी गठबंधनों के सदस्य आमने-सामने आ गए। दोनों सदनों ने इन विधेयकों को 21 लोकसभा और 10 राज्यसभा सदस्यों वाली JPC को सौंपने का प्रस्ताव पारित किया है। समिति को नवंबर के तीसरे सप्ताह में शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र में अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।





