नई दिल्ली। तीन तलाक से संबंधित नया विधेयक गुरूवार को लोकसभा में पांच घंटी चली बहस के बाद पास हो गया। इस विधेयक के पक्ष में 245 और इसके विरोध में 11 वोट पड़े। एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवेसी, आरएसपी के एन.के. प्रेमचंद्रन तथा बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब ने विधेयक में 13 संशोधन पेश किये, लेकिन सदन ने सभी को अस्वीकार कर दिया। इनमें विपक्षी दलों के सदस्यों ने 11 संशोधनों पर मतविभाजन भी मांगा लेकिन सभी संशोधन भारी अंतर से गिर गये।
इससे पहले पिछले साल मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 लोकसभा से पारित हुआ था, लेकिन अभी वह राज्यसभा में लंबित है। उसे पारित कराने में हो रही देरी के कारण सरकार इस साल सितम्बर में तीन तलाक को गैर-कानूनी बनाने के लिए अध्यादेश लेकर आयी थी और नया विधेयक अध्यादेश की जगह लेगा। विधेयक में यह प्रावधान है कि सिर्फ पीड़ित महिला, उससे खून का रिश्ता रखने वाले तथा विवाद से बने उसके रिश्तेदार ही प्राथमिकी दर्ज करा सकेंगे। साथ ही पीड़िता का पक्ष सुनने के बाद मजिस्ट्रेट को सुलह कराने और आरोपी को जमानत देने का भी अधिकार होगा, हालांकि थाने से जमानत की अनुमति नहीं होगी।