समान नागरिक संहिता बिल तैयार करने के लिए गठित न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजन प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय पैनल आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उनके आधिकारिक आवास पर बिल सौंपेंगे।
समान नागरिक संहिता पर जोर
विशेषज्ञ समिति द्वारा UCC का प्रारूप सरकार को सौंपने के बाद से ही इस बात की अटकलें लगाई जा रही थीं कि सरकार इसे विधानसभा में कब पेश करेगी। अब संकेत मिल रहे हैं कि सरकार इसे 6 फरवरी को पेश करने की कोशिश कर रही है। बताया जा रहा है कि इस प्रारूप में विभिन्न धर्मों के अनुयायियों को समान अधिकार, बहु विवाह पर रोक, तलाक, संपत्ति में महिलाओं के अधिकार, उत्तराधिकार, विरासत, गोद लेना आदि मुद्दों को शामिल किया गया है। साथ ही, स्थानीय परंपराओं और रीति-रिवाजों का सम्मान करते हुए निजी स्वतंत्रता को भी बनाए रखने पर जोर दिया गया है।
धर्म पर आधारित भेदभाव खत्म करने की कोशिश
समान नागरिक संहिता लागू करने का उद्देश्य राज्य में सभी नागरिकों को धर्म के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव से मुक्त करना है। माना जा रहा है कि यह कानून लागू होने से न केवल सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि महिलाओं के अधिकारों की भी रक्षा होगी।
अन्य महत्वपूर्ण विधेयक भी होंगे पेश
विधानसभा सत्र में समान नागरिक संहिता के अलावा भी कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए जाएंगे। इनमें राज्य निर्माण आंदोलनकारियों के लिए क्षैतिज आरक्षण से संबंधित विधेयक, खिलाडियों के लिए 4% आरक्षण का प्रावधान करने वाला विधेयक और पंचायती राज अधिनियम में संशोधन करने वाला विधेयक शामिल हैं।
भारत में केवल इस राज्य के लागू है UCC
आपको यह बता दें कि इस देश में एक ऐसा भी राज्य है, जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है। यह राज्य गोवा है। गोवा में यूनिफॉर्म सिविल कोड (गोवा सिविल कोड) 1867 से ही लागू है।