Union Cabinet : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में फिर से एक बार एनडीए सरकार बनने जा रही है। दरअसल आज यानी 9 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। सूत्रों के अनुसार, उनके साथ मंत्रिमंडल के सदस्य भी इस दौरान शपथ ग्रहण कर सकते हैं। लेकिन जैसे नई सरकार का गठन होता है तो अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि, कुल कितने मंत्री उनके साथ शपथ ग्रहण करेंगे। क्या ये मंत्री एक निश्चित संख्या में होते हैं या उनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है?
केंद्रीय मंत्रिमंडल की संख्या सीमित:
गौरतलब है कि एनडीए गठबंधन की सरकार में सभी सहयोगी दल महत्वपूर्ण मंत्री पद की मांग कर रहे हैं। हालांकि, यह संभव नहीं है कि हर पार्टी के सांसद को मंत्री पद दे दिया जाए। दरअसल केंद्र में मंत्री नियुक्त करने के लिए नियम निर्धारित हैं, और उसी के अनुसार एक सीमित संख्या में ही मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है।
कितने सांसद को मिल सकता है मंत्री पद?
दरअसल संविधान के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिमंडल में सदस्यों की कुल संख्या लोकसभा के सदस्यों की संख्या के आधार पर निर्धारित होती है। जानकारी के अनुसार लोकसभा के कुल 543 सदस्यों का 15 प्रतिशत हिस्सा मंत्री बनाया जा सकता है। इसका मतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी की कैबिनेट में अधिकतम 81-82 मंत्री हो सकते हैं।
भारतीय संविधान में क्या है नियम?
हालांकि यह जानना आवश्यक है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74, 75, और 77 के तहत ही केंद्र में मंत्रिमंडल का गठन किया जाता है। वहीं अनुच्छेद 74 के अनुसार, मंत्रिपरिषद का गठन राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह पर किया जाता है। दरअसल इस अनुच्छेद के अनुसार, मंत्रिपरिषद का सर्वोच्च पद प्रधानमंत्री का होता है, और राष्ट्रपति उनकी सलाह और सुझावों पर मंत्रिमंडल की रचना को मंजूरी देते हैं। संविधान का अनुच्छेद 75(1) यह कहता है कि राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करते हैं। मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों की नियुक्ति के लिए वे प्रधानमंत्री से परामर्श करते हैं, और मंत्रिमंडल के विस्तार का अधिकार भी उन्हीं के पास होता है।
यह पद है सबसे अहम:
दरअसल केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्रालयों के इम्पोर्टेंस और कार्यभार के आधार पर तीन प्रकार के मंत्री नियुक्त किए जाते हैं: कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री, और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)। जानकारी के अनुसार इनमें सबसे अधिक महत्व कैबिनेट मंत्री को दिया जाता है। दरअसल वे अपने मंत्रालय के प्रमुख होते हैं और सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं। इसलिए यदि कैबिनेट मंत्री की बात आती है तो प्रधानमंत्री अपने सबसे योग्य सांसद को कैबिनेट मंत्री बनाने की सलाह देते हैं। ध्यान रहे कि, कैबिनेट मंत्रियों के पास एक से अधिक मंत्रालय भी हो सकते हैं। केंद्र सरकार के सभी महत्वपूर्ण निर्णय कैबिनेट की बैठक में लिए जाते हैं, इसलिए कैबिनेट मंत्री का इन बैठकों में शामिल होना अनिवार्य होता है।