केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर की चर्चा, बढ़ेगी देश में विकास की रफ्तार
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार पर चर्चा करते हुए बताया कि डीपीआई (Digital Public Infrastructure) एक ऐसा प्रणाली है जो पब्लिक और प्राइवेट दोनों क्षेत्रों में लाभ पहुंचाने की क्षमता रखता है।

Finance Minister Nirmala Sitharaman : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार पर चर्चा करते हुए बताया कि डीपीआई (Digital Public Infrastructure) एक ऐसा प्रणाली है जो पब्लिक और प्राइवेट दोनों क्षेत्रों में लाभ पहुंचाने की क्षमता रखता है। उन्होंने दावा किया कि भारत पिछले कुछ बर्षों में तेजी से बढ़ रहा है और कुशल योगदान दे रहा है।
वित्त मंत्री ने IMF द्वारा आयोजित इंडियाज डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर- स्ट्रैकिंग अप द बेनिफिट (India’s Digital Public Infrastructure: Stacking Up the Benefit) की बात करते हुए बताया कि डीपीआई विभिन्न व्यापक और कठिना योग्यता वाली चुनौतियों के सामना करने में बेहतर है। यह बताते हुए कि डीपीआई वित्तीय समावेशीकरण, दिग्गज बचत और निवेश की गति को बढ़ा सकता है, वित्तीय समावेशीकरण में सुधार कर सकता है और नई सेवाओं और उत्पादों को जनता तक पहुंचा सकता है।
व्यापार से लेकर लोगों का जीवन हुआ आसान
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वित्त मंत्री ने आईएमएफ के इस कार्यक्रम में बताया कि डिजिटल पहचान और भुगतान के माध्यम से लोगों का जीवन आसान हुआ है। इसमें भारत के शासन को डेटा के माध्यम से सुधार करने में मदद मिली है। डीपीआई ने 650 मिलियन लोगों को सहायता प्रदान की है जिन्होंने सीधे अपने खाते में 322 अरब डॉलर प्राप्त किया है। इससे केंद्र सरकार की योजनाओं और सेवाओं में 27 अरब डॉलर से अधिक की बचत हुई है। भारत में 462.5 मिलियन कम लागत वाले बैंक खाते खोलने का रिकॉर्ड है, जिसमें 56 फीसदी कम महिलाएं हैं। सीतारामन ने कहा कि इससे दुनिया में सबसे बड़े सिस्टम के विकास में मदद मिली है।
लोन देने की घटी
ई-केवाईसी (डिजिटल आधारित ग्राहकों की पहचान सत्यापित करने की प्रक्रिया) की लागत को तीन रुपये में कम कर दिया गया है ताकि बैंक और वित्तीय संस्थान ग्राहकों की जानकारी को आसानी से हासिल कर सकें। इसके परिणामस्वरूप कई बैंक होम लोन या अन्य वित्तीय सेवाओं के लिए कोई प्रोसेसिंग फीस नहीं ले रहे हैं और कई अवसरों पर फीस को माफ भी किया जा रहा है। डिजिटल आधारित पहचान पत्र के जरिये ग्राहक से जुड़ी सूचनाएं तुरंत बैंक और वित्तीय संस्थान को पहुंचती हैं, जो सेवा प्रदान करने की प्रक्रिया को तेज़ बनाती है।
वास्तव में, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआइ) ने वास्तव में लोन देने की प्रक्रिया की लागत को काफी कम कर दिया है जिसके परिणामस्वरूप लोन की ग्राहकों को देने वाली राशि में गिरावट हुई है। पहले यह 500-700 रुपये तक होती थी, लेकिन अब यह बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा लोन देने की प्रक्रिया की लागत को 75 प्रतिशत तक कम कर दिया गया है। इससे न केवल सरकारी संस्थानों को बल्कि निजी संस्थानों को भी लाभ मिलता है, क्योंकि वे अब अधिक सुविधाजनक और सस्ते लोन प्राप्त कर सकते हैं।
61.5 करोड़ लोगों के खाते में सीधे 32.2 अरब डालर भेजे
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत ने डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना करने के बाद 61.5 करोड़ लोगों को 32.2 अरब डालर की राशि सीधे उनके खातों में भेजी है। इससे केंद्रीय सेवाओं और योजनाओं में 27 अरब डालर की बचत हुई है, जो एक महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ है। इसके लिए डिजिटल पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआइ) की अहमियत साबित हुई है, विशेष रूप से कोरोना महामारी के समय, जब 16 करोड़ लोगों को 4.5 अरब डालर की राशि बिना किसी परेशानी के ट्रांसफर कर दी गई। यह एक महत्वपूर्ण प्रगति है जो भारतीय आर्थिक संरचना को मजबूती प्रदान करती है और लोगों को वित्तीय सेवाओं और योजनाओं तक पहुंचने में सुविधा प्रदान करती है।
डिजिटल इंडिया परियोजना
डिजिटल इंडिया परियोजना (डीपीआइ) भारत की आर्थिक प्रगति में मदद करती है। डीपीआइ एक सरकारी पहल है जो भारत के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में ई-गवर्नेंस, ई-शिक्षा, ई-स्वास्थ्य और ई-बैंकिंग जैसे सेवाओं को प्रदान करने के लिए डिजिटल तकनीक का उपयोग करती है। इसके फलस्वरूप, विभिन्न सरकारी व निजी सेवाएं जनता को सस्ते और तात्कालिक रूप से पहुंचा सकती हैं।