उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। सोमवार शाम को संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन 74 वर्षीय धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हाल ही में उनकी एंजियोप्लास्टी हुई थी। इस बीच, उनका एक पुराना वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने 10 जुलाई को दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कहा था कि वह अगस्त 2027 में अपनी राज्यसभा अवधि समाप्त होने पर सेवानिवृत्त होंगे।
विपक्षी दलों ने धनखड़ के इस्तीफे को केंद्रीय मंत्रियों की अनुपस्थिति और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा के राज्यसभा में दिए गए बयान से जोड़ा है। विपक्ष का आरोप है कि सोमवार को दोपहर 4:30 बजे आयोजित बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी) की बैठक में नेता सदन जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू के शामिल न होने से उपराष्ट्रपति निराश थे। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दावा किया कि बीएसी सदस्य मंत्रियों का इंतजार करते रहे लेकिन वे नहीं आए।
उपराष्ट्रपति का अपमान बताया
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि जेपी नड्डा ने राज्यसभा में अपने भाषण में उपराष्ट्रपति की कुर्सी को निर्देश देते हुए कहा कि केवल उनका बयान रिकॉर्ड में जाएगा, विपक्ष का नहीं। विपक्ष ने इसे उपराष्ट्रपति का अपमान बताया। हालांकि, नड्डा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मंत्रियों ने पहले ही अध्यक्ष को अपनी व्यस्तता के बारे में सूचित कर दिया था।
विपक्ष के दावों को निराधार बताया
भाजपा ने जगदीप धनखड़ के इस्तीफे का कारण उनके स्वास्थ्य को बताया और विपक्ष के दावों को निराधार करार दिया। धनखड़ का कार्यकाल अगस्त 2022 में शुरू हुआ था और इसे अगस्त 2027 तक चलना था। उनके इस अप्रत्याशित कदम ने राजनीतिक हलकों में कई सवाल खड़े किए हैं और अब यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि आगे क्या होगा।





