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Sat, Dec 20, 2025

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मंच तैयार, सीपी राधाकृष्णन बनाम सुदर्शन रेड्डी का मुकाबला; क्या होगा कोई खेला

Written by:Mini Pandey
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बीजद और बीआरएस जैसे कुछ दल मतदान से दूर रह सकते हैं, जबकि वाईएसआरसीपी ने राधाकृष्णन के समर्थन की घोषणा की है।
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मंच तैयार, सीपी राधाकृष्णन बनाम सुदर्शन रेड्डी का मुकाबला; क्या होगा कोई खेला

भारत में 9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मंच तैयार हो चुका है। यह चुनाव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी के बीच एक कड़ा मुकाबला होगा। संसद के दोनों सदनों के सदस्य इस चुनाव में मतदान करेंगे, और परिणाम उसी शाम घोषित होने की उम्मीद है। यह चुनाव जगदीप धनखड़ के 21 जुलाई को अचानक इस्तीफा देने के बाद हो रहा है, जिसने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी थी।

सीपी राधाकृष्णन वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। उनको एनडीए ने अपना उम्मीदवार चुना है। उनके पास चार दशकों से अधिक का राजनीतिक अनुभव है, जिसमें तमिलनाडु में बीजेपी के अध्यक्ष और कोयर बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियां शामिल हैं। दूसरी ओर, सुदर्शन रेड्डी एक पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज हैं, जिन्हें इंडिया ब्लॉक ने उनके सामाजिक न्याय और संवैधानिक मूल्यों के प्रति समर्पण के लिए चुना है। यह दक्षिण भारत के दो दिग्गजों के बीच एक विचारधारात्मक और क्षेत्रीय टकराव के रूप में देखा जा रहा है।

50% से अधिक प्राप्त करना होगा वोट

चुनाव में एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली का उपयोग किया जाएगा, जिसमें विजेता को वैध मतों का 50% से अधिक प्राप्त करना होगा। एनडीए के पास 439 सांसदों का समर्थन होने का अनुमान है, जो राधाकृष्णन को संख्याबल में बढ़त देता है। हालांकि, बीजद और बीआरएस जैसे कुछ दल मतदान से दूर रह सकते हैं, जबकि वाईएसआरसीपी ने राधाकृष्णन के समर्थन की घोषणा की है। इंडिया ब्लॉक को आप जैसे गैर-गठबंधन दलों का समर्थन प्राप्त है, जिससे यह मुकाबला और रोचक हो गया है।

किस तरह का होने वाला है मुकाबला

यह चुनाव केवल एक संवैधानिक पद के लिए नहीं, बल्कि एक वैचारिक संघर्ष के रूप में भी देखा जा रहा है। इंडिया ब्लॉक सुदर्शन रेड्डी को सामाजिक और आर्थिक न्याय के लिए एक सशक्त आवाज के रूप में प्रस्तुत कर रहा है, जबकि एनडीए राधाकृष्णन के प्रशासनिक अनुभव और स्वच्छ छवि पर जोर दे रहा है। दोनों उम्मीदवार दक्षिण भारत से होने के कारण यह ‘दक्षिण बनाम दक्षिण’ का मुकाबला बन गया है, जो क्षेत्रीय और राष्ट्रीय राजनीति में नई गतिशीलता ला सकता है।