भारत में घूमने के लिए एक से बढ़कर एक गांव और शहर है, जो अपनी अलग-अलग खासियत व पहचान के लिए जाना जाता है। यहां का स्थानीय परंपरा, पहनावा-उढ़ावा, खान-पान, रहन-सहन इन्हें बाकी सभी जगह से अलग बनाता है। देश के छोटे-छोटे गांव टूरिस्ट के बीच अलग पहचान बना रहे हैं। पर्यटक विलेज टूरिज्म को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। यहां के लोगों से मिलकर वह यहां की खेती बाड़ी को नजदीक से देखना पसंद कर रहे हैं। ऐसे में आज हम आपको भारत के उस गांव से रूबरू करवाएंगे, जो कि दुनिया भर में छा गया है।
दरअसल, इस गांव का नाम धूड़मारास गांव है, जो कि छत्तीसगढ़ में स्थित है। संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन द्वारा इसे सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव उन्नयन कार्यक्रम के लिए चुना गया है।

धूड़मारास गांव (Dhoodmaras Village)
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्थित धूड़मारास गांव लोगों के बीच काफी ज्यादा फेमस हो रहा है। यहां की अदभुत संस्कृति, विरासत, प्राकृतिक सुंदरता लोगों का मन मोह ले रही है। यह गांव प्राकृतिक की गोद में बसा हुआ है। पहाड़ और नदी के बीच बसे घने जंगल लोगों को काफी ज्यादा आकर्षित कर रहे हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी की यह गांव गूगल मैप पर नजर नहीं आता और ना ही इसे राजस्व या फिर वन गांव का दर्जा मिला है। इसके बावजूद, यह गांव लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
विश्व स्तर पर मिली पहचान
इस गांव को विश्व स्तर पर पहचान मिल चुकी है, क्योंकि यहां पर विदेशी पर्यटक की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। इस गांव में पहुंचते ही आपको एक स्वागत द्वार दिखेगा, जहां लिखा गया है धुरवा डेरा, जो इस क्षेत्र में निवास करने वाली एक जनजाति है। यहां होमस्टे भी बनाए गए हैं। जिसकी दीवारें बांस की चटाई और लाल ईंट से बनाई गई है। होमस्टे में पत्थर की छावनी बनाई गई है। इसके अलावा, पर्यटकों के लिए जंगलों में मिलने वाले व्यंजन से तैयार भोजन परोसा जाता है।
लोगों को मिल रहा रोजगार
यहां स्थानीय लोग अपने घरों को पर्यटकों के लिए उपलब्ध करवा रहे हैं, जिससे उन्हें रोजगार भी मिल रहा है। गांव के युवा पर्यटकों को आसपास के क्षेत्र में भ्रमण करवाते हैं। स्थानीय खानपान के साथ उन्हें बस्तर का पारंपरिक व्यंजन भी परोसा जाता है। गांव में पर्यटकों के लिए वेटिंग रूम और टॉयलेट जैसी बेसिक सुविधा उपलब्ध कराई गई है। बता दें कि इस गांव में 40 परिवार रहते हैं। रोजगार के साथ ही गांव को प्राकृतिक क्षेत्र में भी विकसित किया जा रहा है। यहां पर्यटक बम्बू राफ्टिंग, कयाकिंग, ट्रेकिंग, बर्ड वाचिंग जैसी सुविधाएं भी शामिल हैं।
बहदी है कांगेर नदी
इस गांव में कांगेर नदी बहती है, जो आगे जाकर सबरी नदी से मिल जाती है। ऐसे में पर्यटक तरह-तरह की एक्टिविटीज से भी खुद के ट्रिप को यादगार बनाते हैं। यदि आपको कभी यहां जाने का मौका मिले, तो आप भी जरूर जाएं। यहां पर्यटक काफी शांति महसूस करते हैं। सुबह-शाम चिड़ियों की चहचहाट भी सुनाई देती है। लोग अक्सर वीकेंड मनाने के लिए अपने परिवार के साथ यहां पहुंचते हैं।