Hasanamba Temple : भारत आस्था और विश्वास का देश माना जाता है। यहां पर हर धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। यहां हर दिशा में लोगों की आस्था देखने को मिलती है। ऐसे में यदि आप अपने परिवार के साथ कहीं धार्मिक स्थलों पर जाना चाहते हैं तो आप हसनंबा मंदिर जा सकते हैं। बता दें कि इस मंदिर का पट साल में सिर्फ एक बार खोला जाता है। जिसके लिए भक्तगण साल भर इंतजार करते हैं। आइए विस्तार से जानें इस मंदिर की खासियत, इतिहास, आदि…
कर्नाटक में स्थित है ये मंदिर
हसनंबा मंदिर कर्नाटक राज्य में स्थित है। यह मंदिर साल में सिर्फ 7 दिन खुलता है, जो कि दीवाली के समय होते हैं। मंदिर में देवी हसनंबा की पूजा होती है। जब यह मंदिर खुलता है उस दौरान दो दिन के लिए यहां विशेष अनुष्ठान भी होता है, जिस वक्त मंदिर श्रृद्धालुओं के लिए बंद रहता है। इस मंदिर में दर्शन पाने के लिए लाखों श्रद्धालु सालभर इंतजार करते हैं और इस मंदिर के प्रति उनमें बहुत अधिक श्रद्धा और विश्वास होता है।
अनोखी मान्यता
स्थानीय लोगों के अनुसार, हसनंबा मंदिर को होयसल वंश के राजा ने 12वीं शताब्दी में बनावाया था। यह मंदिर वास्तुकला के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है। मंदिर का निर्माण दक्षिण भारतीय वास्तुशिल्प के अनुसार किया गया है। मंदिर के दीवारों पर चित्रों और नक्काशी की खूबसूरत जड़े हैं।यह चौथे व तीसरे शतक के दौरान निर्माण किए गए विशाल मंदिरों की संरचना को दर्शाता है। मान्यता है कि हसनंबा मंदिर में श्रद्धालु चिट्ठी लिखकर भगवान को अर्जी देते हैं। जिसके बाद भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
पौराणिक कथा
इस मंदिर को लेकर पौराणिक कथा बहुत ही रोचक है। दरअसल, एक अंधकासुर नाम का राक्षस था। जिसने कठोर तपस्या के बाद ब्रह्मा से अदृश्य होने का वरदान हासिल कर लिया था। तब से ही वो लोगों पर अत्याचार करने लगा था। ऐसा कहा जाता है कि जब भी भगवान शिव राक्षस को मारते उसके रक्त की हर बूंद से राक्षस बन जाती। तब जाकर भगवान शिव ने अपनी शक्तियों से योगेश्वरी देवी का निर्माण किया और देवी ने उस राक्षस का विनाश किया। यह मंदिर दक्षिण भारत के शीर्ष धार्मिक स्थलों में से एक है और आस-पास के क्षेत्रों से बहुत से श्रद्धालु इस मंदिर की यात्रा करते हैं।