जब सीएम बघेल ने सोनू सूद से कहा–”अब आप वास्तविक जीवन में हीरो हो गए हैं इसलिए अब विलेन का रोल मत कीजिएगा!

Gaurav Sharma
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देश , डेस्क रिपोर्ट। हुआ यूं कि दिल्ली में एजेंडा आजतक कार्यक्रम के मंच से उतरते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उसी मंच पर आते हुए बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद से मुलाकात हो गई । बघेल ने सूद से कहा – “अब आप वास्तविक जीवन में हीरो हो गए हैं इसलिए अब विलेन का रोल मत कीजिएगा!” मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी पर वहां ठहाके तो लगे ही लेकिन सोनू सूद ने कहा – आप सही कह रहे हैं । उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें इन दिनों फिल्मों में नायक की भूमिका के प्रस्ताव भी मिल रहे हैं ।

जब सीएम बघेल ने सोनू सूद से कहा–"अब आप वास्तविक जीवन में हीरो हो गए हैं इसलिए अब विलेन का रोल मत कीजिएगा!
सोनू सूद आमतौर पर फिल्मों में विलेन के रोल करते रहे हैं। लेकिन रील लाइफ के उलट रियल लाइफ में वे तब हीरो बनकर उभरे जब कोरोना काल मे उन्होंने हजारों लोगों की मदद की। इस मदद के लिए उन्हें वैश्विक स्तर पर भी सराहा गया। लेकिन राजनीतिक गलियारों में भूपेश बघेल से उनकी मुलाकात को लेकर अटकलें भी शुरू हो गई हैं। दरअसल पंजाब में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में सोनू सूद पर डोरे डालने में कई राजनीतिक दल लगे हुए हैं। यदि ऐसे में सोनू सूद कांग्रेस ज्वाइन करते हैं तो इसका श्रेय भूपेश बघेल को भी जा सकता है क्योंकि इस समय भूपेश बघेल उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के साथ कदम से कदम मिलाकर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने में लगे हैं।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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