MP Breaking News
Sat, Dec 20, 2025

कौन है रामभद्राचार्य? संत प्रेमानंद महाराज को लेकर क्या कहा? जानिए पूरा मामला

Written by:Rishabh Namdev
Published:
हाल ही में रामभद्राचार्य द्वारा संत प्रेमानंद महाराज को लेकर दिए गए एक बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया। सोशल मीडिया पर रामभद्राचार्य का यह बयान वायरल हो गया, जिसके चलते मथुरा के साधु-संतों ने रामभद्राचार्य के बयान को लेकर नाराज़गी जताई।
कौन है रामभद्राचार्य? संत प्रेमानंद महाराज को लेकर क्या कहा? जानिए पूरा मामला

रामभद्राचार्य के एक बयान ने इस समय देश में नया विवाद छेड़ दिया है। सोशल मीडिया पर उनका बयान वायरल हो रहा है। दरअसल, रामभद्राचार्य ने एक इंटरव्यू के दौरान वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज को खुली चुनौती दी थी। रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद को पालक के समान बताया था और कहा था कि अगर सच में चमत्कार है तो मैं उन्हें चैलेंज करता हूं मेरे सामने प्रेमानंद जी एक अक्षर संस्कृत में बोलकर दिखा दें या फिर मेरे कहे हुए संस्कृत श्लोक का अर्थ ही समझा दें। इसके बाद उनका यह बयान तेजी से वायरल हो गया था।

दरअसल, रामभद्राचार्य के इस बयान के बाद मथुरा-वृंदावन के साधु-संतों ने नाराज़गी जताई। कई संतों ने कहा कि रामभद्राचार्य को अभिमान है, भक्ति में भाषा का महत्व नहीं होता है। ऐसे में अब यह मुद्दा और भी बढ़ गया है।

जानिए कौन है रामभद्राचार्य?

बता दें कि रामभद्राचार्य का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ था। वह सरयू-पारी ब्राह्मण थे। उनका जन्म मकर संक्रांति के दिन 1950 में हुआ था। कई लोग उनका असली नाम नहीं जानते हैं, लेकिन बता दें कि उनका असली नाम गिरिधर मिश्रा था। उनकी माता का नाम शची देवी और पिता का नाम राजदीप मिश्रा था। दरअसल, रामभद्राचार्य के गिरिधर नाम के पीछे भी एक कहानी है। जानकारी के मुताबिक, रामभद्राचार्य के दादाजी की चचेरी बहन मीराबाई की अनन्य भक्त थीं। यही कारण था कि रामभद्राचार्य का नाम गिरिधर रखा गया।

मात्र 2 साल की उम्र में खो दी थी रौशनी

जानकारी के मुताबिक, मात्र 2 साल की उम्र में ही रामभद्राचार्य ने अपनी दोनों आंखों की रोशनी खो दी थी। उन्हें छोटी सी उम्र में “रो” नाम की संक्रामक बीमारी हो गई थी। हालांकि परिवार ने स्थानीय चिकित्सक से उपचार लिया था, लेकिन चिकित्सक द्वारा रामभद्राचार्य की आंखों में गाढ़ा द्रव डाल दिया गया, जिससे उनकी आंखों की रोशनी पूरी तरह से चली गई।

आंखों की रोशनी चले जाने के बाद भी रामभद्राचार्य ने रामायण, महाभारत, सुखसागर, विश्रामसागर, ब्रजविलास जैसे बड़े-बड़े ग्रंथ बिना पढ़े सिर्फ सुनकर कंठस्थ कर लिए। साल 2023 में रामभद्राचार्य को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। माना जाता है कि उन्हें कई भाषाओं का ज्ञान है। बता दें कि उन्हें पद्म विभूषण भी मिल चुका है।