वाराणसी में साईं बाबा की मूर्तियों को लेकर छिड़े विवाद ने एक बार फिर से तूल पकड़ लिया है। दरअसल जानकारी में सामने आया है कि हाल ही में सनातन रक्षक दल नामक एक संगठन द्वारा वाराणसी शहर के कुछ प्रमुख मंदिरों में से साईं बाबा की मूर्तियों को हटवा दिया गया है। वहीं इसके चलते एक बार फिर इस मुद्दे को लेकर बहस छिड़ गई है।
दरअसल इस घटना के बाद साईं बाबा की पूजा को लेकर फिर से चर्चा शुरू हो गई है। जानकारी के मुताबिक अब यह बड़ा सवाल उठाया जा रहा है कि क्या साईं बाबा को हिंदू देवी-देवताओं की तरह पूजा जाना चाहिए या नहीं? जानिए आखिर क्या है यह विवाद।
जानिए क्या है पूरा मामला?
जानकारी के अनुसार उत्तरप्रदेश के वाराणसी के 10 मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियों को हटाने की इस घटना ने अब काफी विवाद खड़ा कर दिया है। दरअसल इस कदम को सनातन रक्षक दल द्वारा उठाया गया है। वहीं इस मामले पर उनका कहना है कि, वे साईं बाबा के विरोधी नहीं हैं, मगर शास्त्रों के मुताबिक किसी भी इंसान की मूर्ति की पूजा हिंदू मंदिरों में नहीं होनी चाहिए।
वहीं जानकारी में यह भी सामने आया है कि संगठन ने मंदिर प्रशासन से सहमति लेकर साईं बाबा की मूर्तियों को हटाया है, जिससे कई धार्मिक समूहों और साईं भक्तों में नाराजगी फैल गई है। जिसके बाद इस घटना ने साईं बाबा की पूजा को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
काफी पुराना है यह विवाद
बता दें कि यह विवाद सिर्फ वाराणसी तक सीमित नहीं है, बल्कि साईं बाबा की पूजा को लेकर इससे पहले भी कई बार धार्मिक संगठनों में इसे लेकर असहमति देखने को मिली है। दरअसल प्रमुख धार्मिक गुरु, जैसे शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती, ने भी पहले यह बयान दिया था कि ‘साईं बाबा को भगवान के रूप में पूजा जाना शास्त्रों के अनुरूप नहीं है।’ इसके साथ ही हाल ही में बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ने भी इसे लेकर इसी विचारधारा का समर्थन किया था, जिसके बाद से यह मुद्दा फिर से चर्चा का विषय बन गया था।