EPFO salary Limit Update: वर्तमान में EPF में अनिवार्य रूप से शामिल होने की वेतन सीमा ₹15,000 प्रतिमाह है।जो कर्मचारी 15,000 से ज्यादा बेसिक सैलरी पाते हैं, उनके पास इन योजनाओं से बाहर निकलने का विकल्प होता है।लंबे समय से कर्मचारियों द्वारा अनिवार्य पीएफ कंट्रीब्यूशन के लिए मौजूदा सैलरी लिमिट को 15000 रुपये से बढ़ाकर 30 हजार करने की मांग की जा रही है, क्योंकि इससे और भी ज्यादा कर्मचारी PF के दायरे में आ सकेंगे। मंगलवार को संसद के शीतकालीन सत्र में यह मुद्दा फिर गूंजा। विपक्ष ने पूछा क्या केन्द्र सरकार वाकई PF की सीमा को 15,000 से बढ़ाकर 30,000 रुपये करने जा रही है? इस सवाल पर केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने जो जवाब दिया, वह हर कर्मचारी के लिए जानना बेहद जरूरी है।
क्या सैलरी लिमिट बढ़ेगी? केन्द्र सरकार ने दिया ये जवाब
- दरअसल, मंंगलवार को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सांसद बेनी बेहनन और डीन कुरियाकोस सवाल करते हुए पूछा कि क्या केंद्र सरकार ईपीएफ की वेतन सीमा 15,000 रुपये से बढ़ाकर 30,000 रुपये करने की तैयारी कर रही है। इसके जवाब में केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि वेतन सीमा में किसी भी तरह का बदलाव करने से पहले व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श की जरूरत होती है। ईपीएफओ के तहत कवरेज के लिए वेतन सीमा बढ़ाने का फैसला ट्रेड यूनियनों और उद्योग संघों समेत सभी हितधारकों के साथ लंबी चर्चा के बाद ही लिया जाता है।
- मंत्री ने आगे कहा कि ईपीएफ वेतन सीमा बढ़ाने का फैसला सीधे तौर पर नहीं लिया जा सकता, क्योंकि अगर सीमा बढ़ाई गई तो कर्मचारियों की ‘टेक-होम सैलरी’ कम हो सकती है और PF में ज्यादा कटौती होगी। नियोक्ताओं पर कर्मचारियों को काम पर रखने की लागत बढ़ेगी। ईपीएफ योजना, 1952 के तहत, ईपीएफओ के तहत आने वाले सभी संस्थाओं में 15,000 रुपये तक कमाने वाले सभी कर्मचारियों को रजिस्टर्ड होना चाहिए, और पात्रता के लिए कोई अलग न्यूनतम वेतन आवश्यकता नहीं है.
वर्तमान में सैलरी लिमिट है 15000 रूपए
दरअसल, वर्तमान में EPF और EPS में अनिवार्य रूप से शामिल होने की वेतन सीमा ₹15,000 प्रतिमाह है।जो कर्मचारी 15,000 से ज्यादा बेसिक सैलरी पाते हैं, उनके पास इन योजनाओं से बाहर निकलने का विकल्प होता है। नियोक्ता पर ऐसे कर्मचारियों को EPF या EPS में शामिल करने की कानूनी बाध्यता नहीं होती। अगर वेतन सीमा 15000 से बढ़कर 25,000 या 30,000की जाती है, तो करीब 1 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी अनिवार्य रूप से सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में आ जाएंगे।नई सीमा के लागू होने से ज्यादा संख्या में कर्मचारी इन महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का हिस्सा बन पाएंगे।सीमा बढ़ेगी, तो ईपीएफ और ईपीएस दोनों योजनाओं में अंशदान की राशि बढ़ेगी, जिससे भविष्य निधि और पेंशन कोष में वृद्धि होगी।आखिरी बार साल 2014 में ईपीएफओ के द्वारा वेतन सीमा में वृद्धि की गई थी। जो पहले ₹6500 प्रति माह थी, उसे बढ़ाकर ₹15000 प्रतिमाह किया गया था। यह बदलाव 1 सितंबर 2014 से लागू किया गया था।
कैसे होता है कॉन्ट्रिब्यूशन?
ईपीएफओ के नियमों के अनुसार नियोक्ता और कर्मचारी दोनों को हर महीने कर्मचारी के वेतन का 12-12 फीसदी योगदान करना अनिवार्य है। हालांकि, कर्मचारी का पूरा 12 फीसदी ईपीएफ खाते में जाता है, जबकि नियोक्ता का 12 फीसदी ईपीएफ (3.67 फीसदी) और ईपीएस (8.33 फीसदी) के बीच बंट जाता है। ईपीएफओ का कुल कोष वर्तमान में लगभग 26 लाख करोड़ रुपए है, और इसके सक्रिय सदस्यों की संख्या लगभग 7.6 करोड़ है





