महिला सशक्तिकरण की ओर मोदी सरकार का सबसे बड़ा कदम, कैबिनेट में पास हुआ महिला आरक्षण बिल, आधिकारिक घोषणा का इंतज़ार
सरकार द्वारा अभी कोई भी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है लेकिन सूत्रों की मानें तो इस बिल को मंजूरी दे दी गई है। सरकार 20 सितंबर को संसद में यह पेश कर सकती है।
Woman Reservation Bill : मोदी सरकार ने महिला आरक्षण बिल को कैबिनेट में मंजूरी दे दी है। इस बिल को मंजूरी के साथ ही सभी राज्यों की विधानसभाओं और लोकसभा में महिलाओं के लिए 33% यानी एक तिहाई सीट आरक्षित कर दी गई है। यह बिल पिछले काफी समय से पारित होने के इंतजार में था और खासकर जिसे लेकर महिलाओं को बेसब्री से इंतजार था।
20 सितंबर को हो सकता है संसद में पेश
हालांकि अभी तक इस बात को लेकर सरकार द्वारा कोई भी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है लेकिन सूत्रों की मानें तो इस बिल को मंजूरी दे दी गई है। सरकार 20 सितंबर को संसद में यह पेश कर सकती है।
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28 साल से है इंतजार
बता दें कि यह बिल सबसे पहले वर्ष 1996 में देवगौड़ा सरकार द्वारा पेश किया गया था और तब से लेकर आज तक लगभग 28 साल से यह पारित होने का इंतजार कर रहा है।
2010 में राज्य सभा में हुआ था पारित
देवगौड़ा के बाद अटल बिहारी वाजपेई ने भी 1998 में इस बिल को पारित करने का प्रयास किया लेकिन तब भी यह संभव नहीं हो सका। इसके बाद वर्ष 2008 में UPA 1 की सरकार के दौरान यह बिल दोबारा संसद में लाया गया, 2009 में स्टैंडिंग कमेटी ने इस पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की इस बिल को कैबिनेट की मंजूरी भी मिली और यह राज्यसभा में पारित भी हुआ, लेकिन लोकसभा में यह पास नहीं हो सका। कारण जातिगत आधार पर महिला आरक्षण की मांग।
बीजेपी का कांग्रेस पर निशाना
हालांकि इस बिल को लेकर भाजपा नेता राकेश सिंह ने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस दशकों तक सरकार में रही लेकिन फिर भी महिला आरक्षण बिल पारित नहीं कर सकी।
सुप्रिया सुले का राकेश सिंह को जवाब
राकेश सिंह के इस बयान पर पलटवार करते हुए कांग्रेसी नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि भारत की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और लोकसभा की पहली महिला स्पीकर मीरा कुमार सब कांग्रेस पार्टी से थीं और हम इस बिल को संसद में संख्या कम होने की वजह से पारित नहीं कर सकें। साथ ही सुप्रिया सुले ने राकेश सिंह को याद दिलाया की पंचायत में महिलाओं का 33% आरक्षण भी राजीव गांधी और उनके पिता शरद पवार की देन है।
इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से गुजारिश की कि वह इस बिल को संसद में लेकर आएं और इसे पारित करने के लिए हम सभी उनका समर्थन करेंगे।
अब देखने लायक बात यह होगी कि यह बिल संसद के पटल पर सरकार द्वारा कब लाया जाता है और इसे किस किस पार्टी का समर्थन मिलता है। कौन सी पार्टी इस बिल का क्या कहकर विरोध करती है और किस तरह यह बिल आने वाले समय में भारत की राजनीति में न केवल बदलाव करेगा बल्कि कैसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर भी साबित होगा।