भारत की ये 5 गुमनाम महिला वैज्ञानिक जिन्होंने बदल दी देश की तकदीर, जानिए क्यों हैं इनके बारे में जानना जरूरी?

भारत की विज्ञान यात्रा में जहां पुरुषों का नाम अक्सर सुर्खियों में रहता है, वहीं कुछ महिला वैज्ञानिकों ने भी देश की पहचान को नई ऊंचाई दी है। आनंदीबाई गोपालराव से लेकर जानकी अम्माल और असीमा चटर्जी तक, इन पांच महिलाओं ने विज्ञान की दुनिया में ऐसी उपलब्धियां हासिल कीं जो आज भी मिसाल हैं। हालांकि इनका नाम उतनी चर्चा में नहीं आया, जितना आना चाहिए था।

इस समय शुभांशु शुक्ला ISS पर मौजूद हैं और गहरी रिसर्च कर रहे हैं। पिछले कुछ समय में भारतीय वैज्ञानिकों ने भारत का परचम हर जगह लहराया है। वैज्ञानिकों की जब भी बात आती है तो भारत के सबसे चर्चित होमी भाभा और विक्रम साराभाई को भूला नहीं जा सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं भारत की 5 ऐसी महिला वैज्ञानिकों के बारे में जो देश में बड़ा बदलाव लेकर आई? चलिए जानते हैं।

आनंदीबाई गोपालराव जोशी

भारत की पहली महिला फिजिशियन आनंदीबाई गोपालराव जोशी ने महज 19 साल की उम्र में इतिहास रच दिया था। पुणे में जन्मी आनंदीबाई को अपने नवजात बेटे की इलाज के अभाव में मौत ने अंदर तक झकझोर दिया। इसी अनुभव ने उन्हें डॉक्टर बनने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अमेरिका के पेनसिलवेनिया स्थित वुमन मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की और भारत की पहली महिला डॉक्टर बनीं। वो उस दौर में विदेश जाकर पढ़ाई करने वाली पहली भारतीय महिला थीं। उनके साहस और जज़्बे की कहानी आज भी लाखों लड़कियों के लिए प्रेरणा है।

जानकी अम्माल

डॉ. जानकी अम्माल का जन्म 1897 में मद्रास में हुआ था। वो एक बॉटनी वैज्ञानिक थीं और उन्हें भारत की पहली महिला साइंटिस्ट माना जाता है जिन्हें पद्मश्री से नवाजा गया था। जानकी अम्माल ने शुगरकेन (गन्ना) की नई किस्में तैयार कीं, जिससे भारत में गन्ने की खेती को नई पहचान मिली। वो बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया की डायरेक्टर भी बनीं और उन्होंने वनस्पति विज्ञान को आम लोगों से जोड़ने का काम किया। उनका योगदान पर्यावरण और पौधों की विविधता को समझने में अहम रहा।

असीमा चटर्जी

वहीं कोलकाता में जन्मी असीमा चटर्जी ने रसायन विज्ञान में वो उपलब्धियां हासिल कीं, जो उस दौर की किसी महिला के लिए आसान नहीं थीं। उन्होंने स्कॉटिश चर्च कॉलेज से पढ़ाई की और फिर मेडिकल साइंस में क्रांतिकारी खोजें कीं। मिर्गी के इलाज की दवा और एंटी-मलेरिया ड्रग्स पर उनका रिसर्च आज भी मेडिकल साइंस में बड़ा योगदान माना जाता है। वो इंडियन नेशनल साइंस अकादमी की पहली महिला जनरल प्रेसीडेंट बनीं और विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी की मिसाल बनीं।

बिभा चौधुरी

बिभा चौधुरी भारतीय भौतिक विज्ञान की वो चमकती किरण थीं, जिन्हें आज भी कम लोग जानते हैं। कलकत्ता यूनिवर्सिटी से M.Sc करने के बाद उन्होंने कोस्मिक रे और न्यूट्रॉन फिजिक्स में गहरा रिसर्च किया। उन्होंने भारत के महान वैज्ञानिकों होमी जहांगीर भाभा और विक्रम साराभाई के साथ काम किया। आज जब भी भारत के परमाणु अनुसंधान की बात होती है, तो बिभा चौधुरी का नाम जरूर लिया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं होता है।

कमला सोहॉन

कमला सोहॉन भारत की पहली महिला थीं जिन्होंने भौतिकी में पीएचडी की डिग्री हासिल की। वो मशहूर वैज्ञानिक सी.वी. रमन की पहली महिला स्टूडेंट भी थीं। 1912 में जन्मीं कमला ने समाज के कई बंधनों को तोड़ते हुए शिक्षा और रिसर्च का रास्ता चुना। उन्होंने पीएचडी करने के बाद वैज्ञानिक अनुसंधान में कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम किया और भारतीय महिला वैज्ञानिकों की पीढ़ियों के लिए एक रास्ता तैयार किया।


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Ronak Namdev

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मैं रौनक नामदेव, एक लेखक जो अपनी कलम से विचारों को साकार करता है। मुझे लगता है कि शब्दों में वो जादू है जो समाज को बदल सकता है, और यही मेरा मकसद है - सही बात को सही ढंग से लोगों तक पहुँचाना। मैंने अपनी शिक्षा DCA, BCA और MCA मे पुर्ण की है, तो तकनीक मेरा आधार है और लेखन मेरा जुनून हैं । मेरे लिए हर कहानी, हर विचार एक मौका है दुनिया को कुछ नया देने का ।

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