Sun, Dec 28, 2025

वर्ल्ड ड्रैकुला डे: जब पूरी दुनिया मनाती है एक वैम्पायर का जश्न, जानिए पिशाच, साहित्य और पॉप कल्चर की ये अनोखी कहानी

Written by:Shruty Kushwaha
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ये बात अजीब लग सकती है कि एक ऐसा भी दिन है जो किसी पिशाच को समर्पित है। लेकिन ड्रैकुला का व्यक्तित्व ही ऐसा रचा गया है कि उसके सम्मोहन से बचना बहुत मुश्किल है। आज के दिन रोमानिया के ट्रांसिल्वेनिया में ड्रैकुला का काल्पनिक घर ब्रान कैसल पर्यटकों और प्रशंसकों से गुलजार रहता है। वहां एक भव्य थीम पार्टी का आयोजन होता है जहां लोग ड्रैकुला जैसे कपड़े पहनकर, गले में तरह तरह की मालाएं डालकर और नकली खून के गिलास हाथ में लिए नाचते-गाते हैं।
वर्ल्ड ड्रैकुला डे: जब पूरी दुनिया मनाती है एक वैम्पायर का जश्न, जानिए पिशाच, साहित्य और पॉप कल्चर की ये अनोखी कहानी

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क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा भी दिन होता है जब दुनिया में एक पिशाच के नाम पर जश्न मनाया जाता  है? जी हां.. हर साल 26 मई को ‘वर्ल्ड ड्रैकुला डे’ मनाया जाता है। यह दिन न सिर्फ डरावनी कहानियों के शौकीनों के लिए खास है बल्कि साहित्य, इतिहास और लोककथाओं के मेल का उदाहरण भी है।

ड्रैकुला एक काल्पनिक पात्र है जिसे आयरिश लेखक ब्रैम स्टोकर ने अपने उपन्यास ‘ड्रैकुला’ में रचा। यह किरदार एक वैम्पायर है जो ट्रांसिल्वेनिया (रोमानिया) के एक रहस्यमयी महल में रहने वाला काउंट ड्रैकुला है। वह रक्तपिपासु, अमर और रहस्यमयी आकर्षण से भरा हुआ है। कहानी में ड्रैकुला रात में जागता है, इंसानों का खून पीता है और अपनी अलौकिक शक्तियों से लोगों को सम्मोहित करता है।

 क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड ड्रैकुला डे

विश्व ड्रैकुला दिवस 1897 में प्रकाशित हुए ब्रैम स्टोकर के मशहूर उपन्यास ‘ड्रैकुला’ के प्रकाशन की याद में मनाया जाता है। ड्रैकुला का किरदार 15वीं शताब्दी के वालाचिया के शासक ‘व्लाद तृतीय’ से प्रेरित माना जाता है, जिन्हें उनकी क्रूरता के लिए “व्लाद द इम्पेलर” कहा जाता था। इस उपन्यास ने न सिर्फ डरावनी कहानियों की दुनिया में तहलका मचाया, बल्कि ड्रैकुला को एक सांस्कृतिक प्रतीक भी बना दिया। आयरिश लेखक ब्रैम स्टोकर ने इस किताब में एक ऐसे पिशाच की कहानी बुनी जो रात के अंधेरे में खून की प्यास बुझाता है और अपने रहस्यमयी आकर्षण से लोगों को मोहित करता है। वह चमगादड़, भेड़िए या कोहरे में बदल सकता है और उसका डरावना लेकिन आकर्षक है। इस उपन्यास की रिलीज के बाद से ड्रैकुला पॉप कल्चर का हिस्सा बन गया जिसने फिल्मों, किताबों, टीवी शो और थिएटर तक में अपनी छाप छोड़ी।

विश्व ड्रैकुला दिवस की शुरुआत ड्रैकुला के प्रशंसकों और गॉथिक साहित्य प्रेमियों द्वारा की गई थी, जो इस किरदार की विरासत को जीवित रखना चाहते थे। इस दिन लोग ड्रैकुला से प्रेरित किताबें पढ़ते हैं, हॉरर फिल्में देखते हैं और थीम आधारित इवेंट्स में हिस्सा लेते हैं। दुनिया भर में ड्रैकुला से जुड़े संग्रहालय..जैसे रोमानिया में ब्रान कैसल (जिसे ड्रैकुला का महल भी कहा जाता है), इस दिन विशेष आयोजन करते हैं।

विश्व ड्रैकुला दिवस: साहित्य से सिनेमा तक छाया पिशाच का जादू

ड्रैकुला सिर्फ एक पिशाच नहीं, बल्कि डर, आकर्षण और अमरता का प्रतीक है। साहित्यकारों का कहना है कि ड्रैकुला की कहानी मानव मन की गहरी इच्छाओं और भय को दर्शाती है। इस किरदार ने न सिर्फ हॉरर कहानियों को एक नया आयाम दिया, बल्कि पॉप कल्चर में भी गहरी छाप छोड़ी। हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड तक ड्रैकुला की कहानी को बार-बार अलग-अलग अंदाज में पेश किया गया है। लेकिन ये दिन हमें ये संदेश भी देता है कि हमें अपने भीतर के पिशाच यानी बुरी इच्छाओं-आदतों को खत्म करके अच्छे इंसान बनने के लिए हमेशा कोशिश करती रहनी चाहिए।