World Senior Citizens Day 2023 : बुजुर्ग हमारे घर और जीवन की नींव होते हैं। ये वो जड़ें हैं जिसके बिना समाज रूपी पेड़ सूख जाएगा। दुनियाभर में बुजुर्गों को उनका सही स्थान मिले, वे एक सम्मानजनक जीवन जिएं और उन्हें हिस्से की सारी खुशियां मिलें, इसी उद्देश्य के साथ हर साल 21 अगस्त को विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस मनाया जाता है।
कब हुई इस दिन को मनाने की शुरुआत
इस खास दिन को मनाने की शुरुआत 1991 से हुई। 1990 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे मनाने की घोषणा की और इसके बाद से हर साल ये दिन मनाया जाता है। इनकम टैक्स लॉ के मुताबिक 60 वर्ष या उससे अधिक आयु वालों को सीनियर सिटीजन कहते हैं। वहीं 80 या उससे अधिक आयु के बाद उन्हें सुपर सीनियर सिटीजन यानी अति वरिष्ठ नागरिक माना जाता है। समाज में वृद्ध लोगों के योगदान को पहचाना और सराहा जाए, उनके प्रति सम्मान का भाव हो और उनकी आयु और आवश्यकतानुसार उन्हें सारी सुविधाएं मिले, आज का दिन इन्हीं उद्देश्यों को समर्पित है।
सभी बुजुर्गों को मिले यथोचित प्रेम और सम्मान
हम सब जानते हैं कि समय के साथ जीवन अति व्यस्त होता जा रहा है। ऐसे में कई बार जाने अनजाने हमारे घरों में बुजुर्गों की अनदेखी या उपेक्षा भी हो जाती है। वहीं कई परिवारों में जान बूझकर बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं भी सामने आती रहती हैं। लेकिन किसी को भी ये बात नहीं भूलना चाहिए कि जीवन के चक्र में हम सब कभी न कभी इस स्थिति में पहुंचेंगे, इसलिए भूलकर भी अपने बुजुर्गों के साथ खराब व्यवहार नहीं करना चाहिए।
कई बार जेनरेशन गैप के कारण भी दो पीढ़ियों की सोच और व्यवहार में अंतर होता है, लेकिन इन सारे अंतर और मतभेदों से ऊपर ये बात है कि बुजुर्गों को अतिरिक्त देखभाल और भावनात्मक संबल की जरुरत होती है। ऐसे में हमारा कर्तव्य है कि हम अपने घरों के वृद्ध लोगों के साथ प्रेम और सह्रदयता के साथ पेश आएं। और ये बात भी परम सत्य है कि बुजुर्गों के होने से जीवन में एक संबल और आश्वासन रहता है। इसलिए आज के इस विशेष दिन हम सबको ये संकल्प लेना चाहिए कि अपने घरों के बुजुर्गों की न सिर्फ सही देखभाल करेंगे, बल्कि उन्हें अपनी खुशियों और फैसलों का साझेदार भी बनाएंगे। वहीं अगर हमें अपने आसपास कुछ ऐसे वृद्धजन नजर आते हैं, जो किसी समस्या में हैं या परेशान हैं तो उनकी सहायता करना भी हमारा कर्तव्य है। ये ऐसे पेड़ हैं जिनकी छांव का विस्तार असीम है, इसलिए सभी बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए और उनके जीवन अनुभवों से सीख भी लेनी चाहिए।