नीमच: मध्य प्रदेश के नीमच-मंदसौर क्षेत्र में पुलिस की साख पर बट्टा लगाने वाले एक बड़े ब्लैकमेलिंग गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। यह मामला सिर्फ अपराध तक सीमित नहीं है, बल्कि पुलिस तंत्र और उसके मुखबिरों के रिश्तों पर गंभीर सवाल खड़े करता है। मनासा पुलिस ने भाटखेड़ी निवासी पंकज धनगर और उसके साथी कैलाश रेगर को गिरफ्तार किया है। जांच में सामने आया है कि मुख्य आरोपी पंकज, जो पुलिस का मुखबिर बताया जा रहा है, खाकी वर्दी के रसूख का इस्तेमाल कर अपना आपराधिक साम्राज्य चला रहा था।
इस गिरोह के कारनामे तब उजागर हुए जब एक बेगुनाह युवक को अपनी जान गंवानी पड़ी। आरोपियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Instagram पर लड़कियों के नाम से फर्जी आईडी बनाकर युवकों को अपने जाल में फंसाने का काम शुरू किया था। इसी कड़ी में ग्राम बर्डिया जागीर के रहने वाले मोहित पाटीदार को निशाना बनाया गया।
‘निकिता’ नाम से फंसाया, फिर शुरू हुआ वसूली का खेल
पुलिस जांच के मुताबिक, गिरोह ने ‘निकिता’ नाम से एक फर्जी इंस्टाग्राम आईडी बनाई थी। इसके जरिए मोहित पाटीदार को बातचीत के जाल में फंसाया गया। जब मोहित पूरी तरह इनके चंगुल में आ गया, तो पंकज धनगर खुद को लड़की का परिजन और कभी पुलिसकर्मी बताकर मोहित के घर जा धमका।
आरोपी ने मोहित को डरा-धमकाकर अवैध पैसों की मांग शुरू कर दी। पुलिसिया रौब और लगातार मिल रही धमकियों से मोहित मानसिक रूप से टूट गया। अंततः इस दबाव को न झेल पाने के कारण उसने आत्महत्या कर ली। इस घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है।
वर्दी के साथ फोटो और वॉकी-टॉकी का दिखावा
इस मामले में सबसे चौंकाने वाला पहलू आरोपी पंकज धनगर की जीवनशैली है। वह सोशल मीडिया पर खुलेआम पुलिसिया रुतबा झाड़ता था। कभी रिवॉल्वर के साथ, कभी पुलिस के वॉकी-टॉकी के साथ, तो कभी पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ उसकी तस्वीरें वायरल होती रहीं।
ये तस्वीरें सिर्फ शौक नहीं, बल्कि उसके ‘अघोषित पुलिसकर्मी’ होने का प्रमाण बन गई थीं। वह इन तस्वीरों का इस्तेमाल आम लोगों में अपना खौफ पैदा करने के लिए करता था। सवाल उठ रहा है कि एक मुखबिर को पुलिसिया संसाधनों के उपयोग की इतनी खुली छूट किसने दी?

DIG ने लिया संज्ञान, व्हाट्सएप ग्रुप में दिए निर्देश
मामले की गंभीरता और पुलिस की छवि धूमिल होते देख विभाग हरकत में आया है। डीआईजी निमिष अग्रवाल ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से एक व्हाट्सएप ग्रुप में पुलिसकर्मियों के लिए स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं।
“पुलिस अधिकारी व कर्मचारी ऐसे संदिग्ध या बदनाम तत्वों के साथ फोटो न खिंचवाएं। इस निर्देश का सख्ती से पालन किया जाए।” — निमिष अग्रवाल, डीआईजी
डीआईजी का यह निर्देश इस बात का संकेत है कि विभाग ने अपनी चूक स्वीकार कर ली है और अब डैमेज कंट्रोल की कोशिश की जा रही है। भविष्य में पुलिस और बाहरी व्यक्तियों के अनौपचारिक संबंधों पर अब ज्यादा कड़ी निगरानी रखने की बात कही जा रही है।
पहले भी दर्ज हैं कई मामले
जांच में पता चला है कि आरोपियों के खिलाफ मंदसौर, रतलाम और नीमच में पहले भी ब्लैकमेलिंग और वसूली के कई मामले सामने आ चुके हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि गिरोह को लंबे समय से किसी न किसी स्तर पर संरक्षण या अनदेखी का लाभ मिल रहा था। मोहित पाटीदार की मौत ने पुलिस को अपने मुखबिर तंत्र की समीक्षा करने पर मजबूर कर दिया है। अब देखना होगा कि इस मामले में आगे और कितनी सख्त कार्रवाई होती है ताकि जनता का भरोसा बहाल हो सके।





