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Sun, Dec 7, 2025

नीमच हादसा: शिक्षक की मौत के बाद बेटे के इलाज के लिए समाज को मदद करने आना पड़ा आगे, प्रशासन की मदद नाकाफी

Written by:Shyam Dwivedi
सड़क हादसे में जान गंवाने वाले शिक्षक दशरथ बावरी के परिवार की मदद के लिए अब आम लोग आगे आए हैं। समाजसेवियों और स्थानीय नागरिकों ने जनसहयोग से फंड जुटाना शुरू कर दिया है। हादसे में उनके बेटे हर्षित को सबसे गंभीर चोटें आईं। उसके पैर में इतना नुकसान हुआ कि डॉक्टरों को उसकी जान बचाने के लिए पैर काटना पड़ा।
नीमच हादसा: शिक्षक की मौत के बाद बेटे के इलाज के लिए समाज को मदद करने आना पड़ा आगे, प्रशासन की मदद नाकाफी

नीमच। पिछले हफ्ते नीमच-जावद मार्ग पर एक दर्दनाक सड़क हादसे में जान गंवाने वाले शिक्षक दशरथ बावरी के परिवार की मदद के लिए अब आम लोग आगे आए हैं। प्रशासन से मिली सहायता राशि को इलाज के खर्च के मुकाबले अपर्याप्त बताते हुए समाजसेवियों और स्थानीय नागरिकों ने जनसहयोग से फंड जुटाना शुरू कर दिया है। इसके लिए परिवार के खाते से जुड़ा एक क्यूआर कोड सोशल मीडिया पर जारी किया गया है।

क्या था पूरा मामला?

यह घटना पिछले सप्ताह महेशपुरिया के पास हुई थी, जब ASI मनोज यादव की कार ने शिक्षक दशरथ बावरी की बाइक को टक्कर मार दी थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ASI नशे में था। इस हादसे में जावद निवासी शिक्षक दशरथ की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उनकी पत्नी और दो बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए।

हादसे में उनके बेटे हर्षित को सबसे गंभीर चोटें आईं। उसके पैर में इतना नुकसान हुआ कि डॉक्टरों को उसकी जान बचाने के लिए पैर काटना पड़ा। फिलहाल हर्षित का इलाज उदयपुर के एक निजी अस्पताल में चल रहा है।

आर्थिक संकट से जूझ रहा परिवार

परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से ही कमजोर थी। हादसे के बाद इलाज पर अब तक ₹2 लाख से ज्यादा खर्च हो चुके हैं, जबकि यह खर्च लगातार बढ़ रहा है। परिवार ने कई बार शासन-प्रशासन से आर्थिक मदद की गुहार लगाई, लेकिन अब तक उन्हें केवल ₹50,000 की सहायता राशि ही प्राप्त हुई है। यह राशि इलाज के भारी खर्च को देखते हुए नाकाफी साबित हो रही है।

जब समाज ने थामी जिम्मेदारी

प्रशासनिक उदासीनता के बीच, जावद, नीमच, मंदसौर और आसपास के क्षेत्रों के लोगों ने इंसानियत की मिसाल पेश की है। शिक्षक समुदाय, समाजसेवी और आम नागरिकों ने परिवार की मदद का बीड़ा उठाया है। उन्होंने परिवार के बैंक खाते से जुड़ा एक क्यूआर कोड और यूपीआई की जानकारी साझा की है, जिससे लोग सीधे अपनी क्षमतानुसार आर्थिक मदद भेज सकें। इस अभियान को सोशल मीडिया पर भी चलाया जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक लोग पीड़ित परिवार की मदद कर सकें।

नीमच से कमलेश सारड़ा की रिपोर्ट