नीमच जिले से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहां रूढ़िवादी परंपराओं और सामाजिक ठेकेदारों की मनमानी ने एक नवविवाहिता को मौत को गले लगाने पर मजबूर कर दिया। जिले के ग्राम बावल में ‘झगड़ा प्रथा’ की आड़ में एक तुगलकी फरमान सुनाया गया। समाज के पंचों ने एक दंपति पर न केवल 9 लाख 50 हजार रुपये का भारी-भरकम जुर्माना लगाया, बल्कि उन्हें 14 वर्षों के लिए समाज से बहिष्कृत (हुक्का-पानी बंद) करने का आदेश भी दे दिया।
इस अमानवीय फैसले और लगातार बढ़ते मानसिक दबाव को नवविवाहिता सहन नहीं कर सकी और उसने जहरीला पदार्थ पीकर आत्महत्या करने की कोशिश की। फिलहाल उसे गंभीर हालत में जिला चिकित्सालय नीमच में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी जान बचा ली गई है।
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के मुताबिक, 24 वर्षीय लक्ष्मी रेगर ने अपने पहले विवाह के असफल होने के बाद आपसी सहमति से दूसरा विवाह किया था। उसने ग्राम कुंडला छोड़कर ग्राम बावल निवासी प्रवीण रेगर के साथ नई जिंदगी की शुरुआत की थी। इस विवाह को अभी तीन महीने भी पूरे नहीं हुए थे कि समाज के कुछ लोगों ने इसे ‘झगड़ा प्रथा’ से जोड़ दिया और पंचायत बैठा दी।
पंचायत में मानवीय संवेदनाओं को दरकिनार करते हुए प्रवीण रेगर और उसके परिवार के खिलाफ कठोर फैसला सुनाया गया। पंचों ने आदेश दिया कि प्रवीण को 9.50 लाख रुपये का अर्थदंड भरना होगा और उसे 14 साल तक समाज से बाहर रखा जाएगा। हद तो तब हो गई जब यह धमकी भी दी गई कि अगर उन्होंने कानूनी मदद ली, तो जुर्माने की राशि बढ़ाकर 15 लाख रुपये कर दी जाएगी।
मानसिक दबाव में उठाया कदम
पति प्रवीण रेगर ने बताया कि समाज द्वारा अछूत बना दिए जाने, रिश्तेदारों से दूरी और आर्थिक दंड के बोझ ने लक्ष्मी को बुरी तरह तोड़ दिया था। भविष्य की चिंता और सामाजिक तिरस्कार के डर से वह गहरे अवसाद में चली गई थी। इसी मानसिक प्रताड़ना के चलते उसने जहर पी लिया। परिजनों ने उसे तुरंत जिला अस्पताल पहुंचाया। पुलिस ने अस्पताल पहुंचकर पीड़िता के बयान दर्ज कर लिए हैं और मामले की जांच शुरू कर दी है।
व्यक्तिगत रंजिश का आरोप
इस घटना ने समाज के भीतर भी विरोध के स्वर मुखर कर दिए हैं। समाज के ही एक सदस्य, ओमप्रकाश उज्जैनिया ने इस फैसले को गलत ठहराते हुए इसे व्यक्तिगत दुश्मनी का नतीजा बताया है। उनका आरोप है कि प्रवीण रेगर और उसके पड़ोसी मोहनलाल के बीच कोई पुराना विवाद चल रहा था। इसी विवाद को निपटाने के लिए सामाजिक मंच का दुरुपयोग किया गया और इसे परंपरा का नाम दे दिया गया। उन्होंने कहा कि समाज का काम संवाद से समाधान निकालना है, न कि किसी की जिंदगी बर्बाद करना।
यह घटना एक बार फिर सवाल खड़ा करती है कि क्या परंपराएं इंसान की जान से ज्यादा कीमती हैं? फिलहाल पुलिस मामले की तहकीकात कर रही है और दोषियों पर कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है।





