नीमच। रोजगार के सरकारी दावों की जमीनी हकीकत नीमच की ओपियम फैक्ट्री में भारत सरकार के ही आधिकारिक जवाब से उजागर हो गई है। सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत RTI कार्यकर्ता चंद्रशेखर गोड़ को भारत सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, फैक्ट्री में 398 स्वीकृत पदों में से 250 पद रिक्त हैं और पिछले 21 वर्षों में एक भी स्थायी भर्ती नहीं हुई।
यह खुलासा इसलिए भी गंभीर है क्योंकि नीमच की ओपियम फैक्ट्री देशभर के लिए मॉर्फिन, कोडीन और अन्य जीवनरक्षक दवाओं का कच्चा माल तैयार करती है। बावजूद इसके, यहां न तो पद सृजन हुआ और न ही भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़ी।
अधिकारी हैं नहीं तो फैसलें कौन ले रहा है? सरकारी दस्तावेज बताते हैं कि फैक्ट्री में ग्रुप-ए (अधिकारी वर्ग) के 21 में से 17 पद खाली हैं। ग्रुप-बी के 19 में से 15 पद रिक्त हैं और ग्रुप-सी के 358 में से 128 पद खाली हैं।
फैक्ट्री का संचालन ओवरटाइम व्यवस्था पर निर्भर
जनरल मैनेजर, प्रोडक्शन, आर एंड डी, केमिकल इंजीनियर, साइंटिफिक मैनेजर जैसे अहम पद वर्षों से खाली हैं। नतीजतन, फैक्ट्री का संचालन ग्रुप-सी कर्मचारियों और ओवरटाइम व्यवस्था पर निर्भर हो गया है।
सुरक्षा के दावों पर खतरे की घंटी
सरकार खुद मान रही है कि रिकॉर्ड नहीं है। आरटीआई के जवाब में यह भी स्वीकार किया गया कि पिछले 10 वर्षों में कोई नया पद सृजित नहीं हुआ है। भर्ती के प्रयासों का अलग से कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। रोजगार को लेकर किसी जनप्रतिनिधि के पत्राचार का भी कोई दस्तावेज नहीं है। ऐसे में दावों की सुरक्षा पर खतरे की घंटी बज रही है।
विशेषज्ञों के अनुसार अधिकारी और तकनीकी पद खाली रहने से निगरानी और गुणवत्ता नियंत्रण कमजोर हो रहा है। आर एंड डी ठप होने से मशीनें और प्रक्रिया अपडेट नहीं हो पा रही है। ओवरटाइम के दबाव से मानवीय भूल और सुरक्षा के जोखिम बढ़ रहे हैं।
सरकारी दावे Vs सरकारी सच
एक ओर रोजगार सृजन और मेक इन इंडिया के दावे, दूसरी ओर भारत सरकार के दस्तावेज जो बताते हैं कि 21 साल से युवाओं को एक भी स्थायी नौकरी नहीं मिली। अब सवाल सीधे है फैक्ट्री राष्ट्रीय महत्व की है और सब सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है तो फिर भर्ती कब होगी और जिम्मेदारी कौन लेगा?




नीमच से कमलेश सारड़ा की रिपोर्ट





